भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जानकारी बेहद जरूरी
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जानकारी बेहद जरूरी
मुजफ्फरपुर. गन्नीपुर स्थित श्रीकृष्ण जुबली लॉ कॉलेज के सेमिनार हॉल में भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 : प्रमुख परिवर्तन विषय पर सेमिनार सह कार्यशाला आयोजित की गयी. उद्घाटन मुख्य अतिथि पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता सह सरकारी वकील राजस्व अधिकरण, उदय प्रकाश शर्मा, कॉलेज के प्राचार्य, उप- प्राचार्य ने दीप प्रज्वलित कर की. प्रो.बीएम आजाद ने कहा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 के प्रावधानों की जानकारी छात्र-छात्राओं व शिक्षकों को होनी आवश्यक है. विषय प्रवेश कराते हुए प्राचार्य डाॅ केकेएन तिवारी ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों व उससे प्राप्त जानकारी को साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया गया है. उपनिवेशिक शासन के शब्दों को इस नयी संहिता में निरस्त कर दिया गया है. जबकि मूल अधिनियम की उपयोगिता 1 जुलाई 2024 के लागू होने के बाद भी बनी रहेगी. मुख्य अतिथि ने बताया कि वर्तमान अधिनियम में इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल साक्ष्य की सुसंगतता व ग्रह्यता पर विशेष स्थान दिया गया है. नये अधिनियम में एक अनुसूची जोड़ी गयी है. कार्यशाला के प्रमुख प्रवक्ता प्रो.आशीष सिंह ने पीपीटी से नये साक्ष्य अधिनियम के प्रमुख परिवर्तनों पर प्रकाश डाला. प्रो.बृजेश कुशवाहा व प्रो.अरुण पाण्डे ने भी नये अधिनियम की बारीकियों व परिवर्तित प्रावधानों के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला. मौके पर उपस्थित सदस्यों में मुख्य रूप से डाॅ एसपी चौधरी, प्रो.आरए सहाय, प्रो. शक्ति कुमार, डॉ अर्चना अनुपम, प्रो. मधु, प्रो.रुपा, प्रो.दीक्षा शशि, प्रो.मो. हैदर फारुकी, प्रो.डीके मिश्रा समेत अन्य मौजूद थे. मंच संचालन प्रो.पंकज व धन्यवाद ज्ञापन प्रो.रत्नेश भारद्वाज ने किया.
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