Lok Sabha Election 2024: उत्तर बिहार की सियासी बिसात पर अलग- थलग पड़ा मुस्लिम वोटर
12 लोकसभा सीटों पर पहले और दूसरे नंबर की वोटर संख्या वाली लगभग सभी सीटों पर मुस्लिम मतों के बिखराव का फायदा एनडीए को मिला और मुस्लिम मतदाताओं की बहुलता वाली सीटों पर जीत हासिल कर ली.
अनुज शर्मा, मुजफ्फरपुर
Lok Sabha Election 2024 लोकसभा के आम चुनाव को लेकर उत्तर बिहार में बिछी चुनावी चौसर पर वोटर और उम्मीदवार किसी भी रूप में मुसलमान अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज नहीं करा पा रहा है. यहां वह करीब दो दशक से अपनी जमीन तलाशता नजर आ रहा है. बीते चुनाव परिणामों को देखें, तो मुसलमान वोटर के रूप में एकजुट भी नहीं दिख रहा है. यही कारण है कि 12 लोकसभा सीटों पर पहले और दूसरे नंबर की वोटर संख्या वाली लगभग सभी सीटों पर मुस्लिम मतों के बिखराव का फायदा एनडीए को मिला और मुस्लिम मतदाताओं की बहुलता वाली सीटों पर जीत हासिल कर ली.
राजनीतिक गतिविधियों को लेकर शोध और सर्वे करने वाली संस्था ‘ चाणक्य ‘ ने वोटर लिस्ट के आधार पर जातिगत वोटर की लोकसभावार गणना की है. उसकी रिपोर्ट को आधार मानें, तो उत्तर बिहार के लोकसभा क्षेत्र झंझारपुर में (13.9% प्रतिशत), दरभंगा ( 20.1प्रतिशत), उजियारपुर ( 10.1%प्रतिशत), समस्तीपुर ( 12.6% प्रतिशत), सीतामढ़ी ( 21.1% प्रतिशत), मधुबनी (24.1 प्रतिशत), मुजफ्फरपुर (15.4 प्रतिशत), वाल्मीकि नगर ( 20.1% प्रतिशत), पश्चिम चंपारण ( 22.7% प्रतिशत), पूर्वी चंपारण ( 14.3% प्रतिशत), शिवहर (17.9 प्रतिशत) तथा वैशाली (13.7 प्रतिशत) में मुस्लिम मतदाता हैं. लोकसभा के वोटरों को दलित, पिछड़ा , मुसलमान आदि श्रेणी में बांटकर देखें, तो इन 12 सीटों पर मुसलमान का स्थान पहला या दूसरा है.
बावजूद इसके 2024 के इस चुनाव में मधुबनी से चुनाव लड़ रहे अली अशरफ फातमी (राजद) इकलौते मुस्लिम उम्मीदवार हैं.वर्ष 2019 में हुए पिछले लोकसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड(जदयू), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा ) गठबंधन ने इस क्षेत्र में सफलता हासिल की थी. पिछले कई चुनावों के रुझानों पर नजर डालें, तो यहां ध्रुवीकरण एवं जातीय समीकरण ही हार-जीत के आधार रहे हैं. गौरतलब है कि लोकसभा की 40 सीट वाले राज्य में इंडी गठबंधन ने चार तथा एनडीए गठबंधन ने एक मुसलमान को टिकट दी है.
शिवहर को मिले कई मुस्लिम उम्मीदवार, जीत एक
अगर मुस्लिम मतदाता एकजुट होकर किसी एक पार्टी या गठबंधन को वोट दें, तो वे परिणाम बदलने का माद्दा रखते हैं. लेकिन, ऐसा हो नहीं पा रहा है. शिवहर लोकसभा क्षेत्र के बीते चुनाव परिणाम इसका सबसे अच्छा उदाहरण है. 1977 से अब तक प्रमुख पार्टियों ने कई बार मुसलमान को उतारा. लेकिन, जीत एक बार ही मिली. ‘ चाणक्य ‘ की एक रिपोर्ट को आधार मानें, तो यहां सबसे अधिक करीब 314456 मुस्लिम वोटर हैं. यानी कुल वोटर का 17.9% प्रतिशत हैं. शिवहर में आखिरी बार 1999 में मोहम्मद अनवारुल हक (राजद) चुनाव जीते थे.
इसके बाद कोई मुसलमान लोकसभा नहीं पहुंचा. मोहम्मद अनवर उल हक बसपा और भाजपा से भी चुनाव लड़े. लेकिन, जीते नहीं. 2019 में राजद ने मुसलमान उम्मीदवार उतारा लेकिन वह हार गया. इससे पहले 2014 में मोहम्मद अनवर उल हक राजद और शाहिद अली जेडीयू से लड़े और हार गये. दोनों को कुल मिलाकर 25 फीसदी भी वोट नहीं पड़े. 2009 में वह बसपा से चुनाव लड़े. दूसरे नंबर पर रहे लेकिन वोट मात्र 8.5 फीसदी ही हासिल कर सके थे. मोहम्मद अनवर उल हक 2004 में भाजपा से लड़े लेकिन हार गये.
इंडी गठबंधन की चिंता मुस्लिम वोटों का बिखराव रोकना
इंडी गठबंधन के सामने सबसे बड़ी चिंता मुस्लिम वोटों के बिखराव को रोकने की होगी, क्योंकि 10 से 21 फीसद मुस्लिम वोटर वाली सीटों पर उसकी जीत की संभावना, तभी बन सकती है जब मुस्लिम वोट उसके पक्ष में एकजुट हों. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इस बार भी मुस्लिम मतदाताओं को अपने पक्ष में एकजुट रखना इंडी गठबंधन के लिए सबसे बड़ी चुनौती है.
उसकी एक बड़ी वजह यह है कि कोई भी पार्टी अब तक मुसलमान से जुड़े मुद्दों को लेकर उतनी मुखर नहीं रही है जितना कि उससे उम्मीद की जाती रही है. हालांकि इंडी गठबंधन के कई नेता दावा करते रहे हैं कि राजद- कांग्रेस और माले का कोर वोट के साथ मुस्लिम मतदाता भी पूरी मजबूती से एनडीए गठबंधन को रोकने के लिए खड़ा है. इसके विपरीत एनडीए लोकसभा चुनाव में मुस्लिम बहुल सीटों पर भी जीत हासिल करने की रणनीति के तहत मैदान में उतरी है. बीते लोकसभा चुनाव में उसे उन बूथों पर अच्छे- खासे वोट हासिल हुए थे , जो किसी मदरसा या मुस्लिम बस्ती में बने थे.
एनडीए का टास्क वोट प्रतिशत बढ़ाना
भाजपा – जदयू के अल्पसंख्यक मोर्चा की टीम खासतौर पर मुस्लिम समाज की महिलाओं और उन वर्गों का वोट हासिल करने का प्रयास कर रही है जो सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ ले रहे हैं. उन बूथों को चिह्नित किया गया है जहां 50 से कम वोट मिले थे. उनके लिए अलग रणनीति बनाई है. ऐसे बूथों पर 15 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है. एनडीए पसमांदा मुसलमान को कोर वोटर मानकर उत्साहित दिख रही है.
लोकसभा की नौ सीटों पर मुसलमान को नहीं मिला प्रतिनिधित्व
सीतामढ़ी, झंझारपुर, मुजफ्फरपुर, वैशाली, समस्तीपुर तथा 2008 के बाद गठित वाल्मीकी नगर, उजियारपुर , पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण में अभी तक मुसलमान उम्मीदवार संसद नहीं पहुंचा है. शिवहर में एक बार, मधुबनी से तीन बार तथा दरभंगा के वोटरों ने पांच उम्मीदवारों को संसद पहुंचाया है.