शिया समुदाय ने कमरा मुहल्ला से निकाला ऊंट का जुलूस

मुहर्रम की चांद रात से शुरू हुए मजलिस का हुआ समापन

By Prabhat Khabar News Desk | September 12, 2024 9:20 PM

मुजफ्फरपुर.

मुहर्रम की चांद रात से शुरू हुई मजलिस का गुरुवार को ऊंट के जुलूस के साथ समापन हुआ. मौके पर कमरा मुहल्ला स्थित बड़ा इमामबाड़ा से जुलूसे अमारी निकाला गया. इससे पहले मजलिस हुई, जिसको मौलाना नेहाल हैदर रिजवी ने खेताब किया. उन्होंने बताया कि इमामे हसन हमारे 11वें इमाम हैं. इमामे हुसैन के अहले हरम यजीद के कैद से रिहाई मिलने के बाद मदीना पहुंचे थे, उसी की याद में अमारी का जुलूस निकाला जाता है, जिसमें बड़ी तादाद में लोग शरीक होते हैं.उन्होंने कहा कि जब यह लुटा हुआ काफिला मदीना पहुंचा है तो इमामे हुसैन की छोटी बहन उम्मे कुलसुम ने एक मर्सिया पढ़ा था, जो मर्सिया उनके दर्द को बयां करता है. उन्होंने जब मदीने के दीवार को देखा तो आवाज लगाई थी, ऐ मेरे नाना के मदीना तू हमारे आने को कबूल न कर, इसलिए का जब हम गए थे तो हमारा घर भरा हुआ था और आज जब हम पलट के आए हैं तो हम सब कुछ करबला में खो कर यहां पहुंचे हैं.जुलूस में अमारी के साथ सियाह ताजिया, हजरत अब्बास का अलम, शबीहे ताबूत और हजरत अली असगर के झूला की भी जियारत करायी गयी. जुलूस में इमामबाड़ा के बाहर सैयद मो बाकर ने दिलखराश तकरीर की. मैदान में मशहूर खतीब तनवीर रजा विक्टर ने फिर प्रोफेसर टूटू साहब के मोड़ पर मौलाना मो कासिम कुम्मी ने शहादत इमामे हुसैन और उनके अहले हरम की मदीना वापसी का वर्णन पेश किया. जहाज़ी कोठी के सामने बंगला पर मौ वेकार अहमद रिजवी ने इस जुलूस के बरामद होने का मकसद बयान किया. बनारस बैंक चौक पर तनवीर रजा विक्टर एडवोकेट ने हिंदुस्तान में आजादरी की तारीख पर रौशनी डाली.

ये जुलूस गोला रोड स्थित छोटी करबला में पहुंचा, जहां पर अलविदा के साथ नौहा मातम किया. दाउदपुर कोठी लश्करी पीर स्थित कर्बला में अल विदाई मजलिस आयोजित की गयी. इस मजलिस को मौ तसव्वुर मेहंदी ने खिताब किया. इस मजलिस में पूरे जिला के शिया समुदाय जमा हुए और वहां मगरिब की अज़ान से पहले तक नौहा मातम किया.

जलीह हाउस में की गयी मजलिस

ऑल इंडिया अंजुमन ए तबलीगे इमामे हुसैन की ओर से जलील हुसैन हाउस में मजलिस हुई, जिसे अंजुमन के अध्यक्ष अली अब्बास आबदी ने बयान किया. उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में इनका शहादत मनाया जा रहा है. कयामत तक इनका गम मनाया जाएगा. लेकिन कर्बला के मैदान में इमामे हुसैन के साथ शहीद होने वाली 72 शहीदों का का शव पड़ा रहा, लेकिन किसी ने उन्हें दफन नहीं किया. इमाम सैयदे सज्जाद सलाम ने उन्हें दफन किया. बीबी जैनब मदीने वापस पहुंची तो अपने नाना के कब्र पर जाकर सारा वाकया कर्बला का बयान किया.

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