राष्ट्रीय पोषण सप्ताह पर विशेष :
मुजफ्फरपुर. जिले के कुपोषित बच्चों को पौष्टिक आहार देकर स्वस्थ बनाने के लिए सदर अस्पताल में पोषण पुनर्वास केंद्र चल रहा है. यहां बच्चों के इलाज के लिए डॉक्टर और देखभाल के लिए प्रत्येक शिफ्ट में दो एएनएम कार्यरत हैं. बच्चों के पोषण के लिए डाइट चार्ट बना हुआ है. हर दूसरे-तीसरे दिन बच्चों की जांच होती है, लेकिन सरकारी विभागों की उदासीनता से यहां बेड खाली हैं. यहां बच्चों के पोषण केलिए 20 बेड बनाये गये हैं, लेकिन यह कभी नहीं फुल होते हैं. जाड़े के दिनों में यह खाली हो जाता है. फिलहाल यहां नौ बच्चे भरती हैं, अन्य बेड खाली हैं. एएइस का मुख्य कारण डॉक्टरों ने कुपोषण माना है. बावजूद यहां प्रखंडों के आंगनबाड़ी सेंटरों व पीएचसी से बच्चे नहीं भेजे जा रहे हैं. नतीजा सरकारी सुविधाओं का लाभ कुपोषित बच्चों को नहीं मिल रहा है और उन पर हमेशा बीमारियों का खतरा बना रहता है. छह महीने से लेकर 59 महीने तक के बच्चों का इलाजकेंद्र में छह महीने से लेकर 59 महीने तक के वैसे बच्चों को रखा जाता है, जो आंगनबाड़ी सेंटरों, पीएचसी या सदर अस्पताल की जांच में कुपोषित पाए जाते हैं. यहां बच्चों की जांच के लिए शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ एमएन कमाल नियुक्त हैं. बच्चों को पौष्टिक भोजन देने के लिए रसाेइया भी हैं. बच्चे के साथ एक अभिभावक के रहने की भी व्यवस्था है, जिसे जीविका की रसोई से निशुल्क भोजन दिया जाता है. नियम के अनुसार बच्चों को 14 से 21 दिन रखना है और उसकी जांच के बाद स्वस्थ पाये जाने पर उसे छोड़ दिया जाता है. जितने दिन अभिभावक बच्चों के साथ यहां रहते हैं, उन्हें एक सौ रुपये रोज के हिसाब से पोषण भत्ता दिया जाता है.——सभी प्रखंडों की आशा और फ्रंट लाइन वर्कर को हर महीने दो बच्चों को यहां भेजने के निर्देश दिये गये हैं, लेकिन सभी प्रखंडों से बच्चे नहीं आ रहे हैं. हमलोगों की कोशिश है कि सभी प्रखंडों के कुपोषित बच्चों की पहचान कर यहां लाए जाए, जिससे सही तरीके से उसका पोषण हो सके.-
पवन शर्मा,
प्रभारी, पोषण पुनर्वास केंद्रडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है