वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर सदर अस्पताल स्थित एमसीएच में रेफर -रेफर खेला जा रहा है. गर्भवतियों का सुरक्षित प्रसव कराने के निर्देश को महिला डाॅक्टर ही नहीं मान रही हैं. क्रिटिकल केस न होने पर भी गर्भवतियों को तत्काल एसकेएमसीएच रेफर कर दिया जा रहा है. इससे ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर को मानसिक तनाव से मुक्ति तो मिल जाती है लेकिन जो एमसीएच में किया जा सकता था, उसे करने से भी वे बच जा रही हैं. रेफर के इस खेल में निजी अस्पतालों की चांदी हो रही है.
जुलाई के आंकड़े बताते हैं कि 30 दिन में 676 गर्भवती महिलाएं अस्पताल में भर्ती हुईं. इनमें से 264 की ही डिलेवरी कराई गई. वहीं 140 को रेफर कर दिया गया. 88 मरीज ऐसे हैं जिनके बारे में कहा जा रहा है कि वे बताये बिना ही बेड से गायब हो गये. शेष 184 मरीजों का लेखा-जोखा विभागीय अभिलेखों में है ही नहीं. इस बारे में तर्क दिया जा रहा है कि यह वह गर्भवती महिलाएं थीं जो भर्ती तो हुई लेकिन उनका समय पूरा नहीं हुआ था, ऐसे में उन्हें लौटा दिया गया. एमसीएच की ओपीडी का लेखाजोखा यह बताता है कि 2038 गर्भवती इलाज के लिए आई हैं. सूत्रों का कहना है कि अस्पताल के डॉक्टर किसी गर्भवती को लेकर रिस्क नहीं लेना चाहते. जरा भी संदेह होने पर रेफर कर दिया जाता है. इसके पीछे कारण है कि अस्पताल के गेट पर ही शहर के नर्सिंग होम के बिचौलियाें की गाड़ी खड़ी रहती हैं. वे ऐसे मरीजों का इंतजार करती रहती हैं. अप्रशिक्षित हाथों से गर्भवती का ऑपरेशन कर दिया जाता है.
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रेफर मरीजों की स्थिति को देखते हुए उन्हें सुरक्षित करने के लिए डाॅक्टर ऐसा करते हैं. जहां तक नर्सिंग होम में चले जाने की बात है तो यह मरीज व उनके परिजनों पर निर्भर है कि वे रेफर के बाद कहां इलाज कराते हैं.
-डॉ एनके चौधरी, उपाधीक्षक, सदर अस्पताल
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