MIT Muzaffarpur: कॉलेज के फार्मेसी विभाग के छात्रों ने मौसमी (मीठा नींबू) के छिलकों से बायोडिग्रेडेबल कप, प्लेट और दीया जैसे उपयोगी उत्पाद बनाने की एक नवीन तकनीक विकसित की है. इस मॉडल को तैयार करने की लागत मात्र 45 पैसे प्रति उत्पाद आयी है. जो इसे आर्थिक और पर्यावरणीय दोनों दृष्टियों से अधिक लाभकारी बनाता है. छात्रों ने बताया कि 8वीं सेमेस्टर में उन्हें अपना प्रोजेक्ट तैयार करना होता है.
इस परियोजना में आठवें सेमेस्टर के छात्रों ने भाग लिया
यह परियोजना आठवें सेमेस्टर के छात्रों प्रेमजीत कुमार, लवकुश, राखी कुमारी, सोनम कुमारी, प्रतिभा कुमारी और रवि रंजन द्वारा पूरी की गयी है. छात्रों ने इस परियोजना के माध्यम से कृषि अपशिष्ट को उपयोगी और पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों में बदलने की संभावनाओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है. परियोजना के मार्गदर्शक प्रो. रवि कुमार और प्रो. निर्मल कश्यप ने छात्रों को इस सफलता के लिए बधाई दी है.
भविष्य की स्थायी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया
इस तकनीक को भविष्य की स्थायी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया, जो न केवल पर्यावरण बल्कि समाज के लिए भी लाभकारी सिद्ध होगा. प्रो. मनीष कुमार भारती ने भी परियोजना की सराहना करते हुए कहा कि यह नवाचार छात्रों के लिए न केवल तकनीकी विकास का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, बल्कि उनके भविष्य के स्टार्टअप संभावनाओं को भी मजबूत करता है. विभागाध्यक्ष डॉ. संजय कुमार ने इस प्रयास की प्रशंसा करते हुए कहा, “यह परियोजना एक सफल स्टार्टअप के रूप में विकसित हो सकती है.
बायोडिग्रेडेबल कप प्लास्टिक का स्थायी विकल्प
मौसमी के छिलके न केवल बायोडिग्रेडेबल उत्पादों के निर्माण के लिए उपयोगी हैं, बल्कि इनके कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं. छिलकों में विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर की प्रचुर मात्रा होती है, जो प्रतिरक्षा को बढ़ाने, पाचन में सुधार करने और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में सहायक हैं. इसके अलावा, मौसमी के छिलकों का उपयोग त्वचा की देखभाल और हृदय स्वास्थ्य के लिए भी किया जा सकता है. इन गुणों के कारण, छात्रों द्वारा बनाए गए बायोडिग्रेडेबल कप न केवल प्लास्टिक का एक स्थायी विकल्प हैं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी हैं.