वेस्ट मैनेजमेंट के लिए एमआइटी के छात्र ने विकसित की थ्रीडी प्रिंटिंग तकनीक
वेस्ट मैनेजमेंट के लिए एमआइटी के छात्र ने विकसित की थ्रीडी प्रिंटिंग तकनीक
-इस मशीन की मदद से प्लास्टिक को रिसाइकिल कर छोटे-छोटे उत्पाद का हो सकता है निर्माण मुजफ्फरपुर. एमआइटी के मैकेनिकल इंजीनियरिंग छात्र ने वेस्ट प्लास्टिक को उपयोगी उत्पादों में बदलने की नई तकनीक विकसित की है. मैकेनिकल इंजीनियरिंग के आठवें सेमेस्टर के छात्रों ने असिस्टेंट प्रोफेसर प्रमोद कुमार के मार्गदर्शन में थ्रीडी प्रिंटिंग मशीन बनायी है. छात्रों ने बेस्ट प्लास्टिक को उपयोगी उत्पादों में बदलने के लिए यह अभिनव प्रयोग किया है. थ्रीडी प्रिंटिंग से प्लास्टिक को फिलामेंट के रूप में उपयोग कर विभिन्न उत्पाद बनाने की मशीन विकसित की गयी है. इस थ्रीडी प्रिंटिंग मशीन को बनाने में पीवीसी पाइप, हॉट बेड, स्टेपर मोटर, एक्सट्रूडर, कूलिंग फैन, पावर सप्लाई व आर्डिनो जैसे घटकों का उपयोग किया गया है. इस मशीन से छोटे-छोटे प्लास्टिक उत्पाद आसानी से बनाए जा सकते हैं. इसके निर्माण में कुल 15,000 रुपये लागत आयी है. यह मशीन विशेष रूप से वेस्ट प्लास्टिक का उचित उपयोग करके उपयोगी उत्पाद बनाने में सक्षम है. इसके उपयोग से न केवल प्लास्टिक कचरे का पुनर्चक्रण संभव है, बल्कि इससे उत्पन्न उत्पाद पर्यावरण को सुरक्षित रखने में भी मददगार साबित होंगे. इस मशीन को बनाने का मुख्य उद्देश्य वेस्ट प्लास्टिक का प्रभावी पुनर्चक्रण करना व पर्यावरण को प्लास्टिक प्रदूषण से बचाना है. एमआइटी के इस छात्र ने बताया कि सस्ती व आसानी से उपलब्ध सामग्री का उपयोग करके एक प्रभावी थ्रीडी प्रिंटिंग मशीन बनायी है. यह प्लास्टिक कचरे को घटाएगी और उपयोगी उत्पाद भी तैयार करेगी. पर्यावरण की सुरक्षा में होगा महत्त्वपूर्ण : यह मशीन तकनीकी दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है. पर्यावरणीय दृष्टि से भी इसका महत्त्व है. इससे प्लास्टिक कचरे का सही उपयोग हो सकेगा. साथ ही पर्यावरण को भी सुरक्षित रखा जा सकेगा. इस परियोजना में देवेश कुमार, डॉली कुमारी, चंदन पंडित, कृति, चंदन यादव, सचिन पासवान व मनीष ने योगदान दिया है. प्राचार्य प्रो एमके झा, मैकेनिकल के विभागाध्यक्ष डॉ आशीष श्रीवास्तव ने छात्रों को शुभकामनाएं दीं.
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