मनरेगा से बाया नदी की उड़ाही, पश्चिमी क्षेत्र के 24 पंचायतों में टलेगा बांध का खतरा
मनरेगा से बाया नदी की उड़ाही, पश्चिमी क्षेत्र के 24 पंचायतों में टलेगा बांध का खतरा
-24 पंचायतों से होकर गुजरती है बाया नदी, जिले में नदी की कुल लंबाई है 28.50 किलोमीटर -1.25 करोड़ रुपये अब तक हुए है खर्च, नदी के तटबंध को भी किया गया है मजबूत, नदी से सटे गांवों में अब नहीं होगा बाढ़ का खतरा मुजफ्फरपुर. लगभग पांच महीने से चल रहे उड़ाही कार्य के कारण जिले के पश्चिमी क्षेत्र साहेबगंज, सरैया एवं पारू प्रखंड के विभिन्न गांवों से होकर गुजरने वाले बाया नदी का स्वरूप ही बदल गया है. गाद से भरी नदी की पेटी अब खाली-खाली दिखने लगी है. वहीं, आसपास के गांवों का जर्जर बांध (तटबंध) भी नदी के पेटी से निकलने वाले गाद (मिट्टी, बालू) से भर कर मजबूत कर दिया गया है. इससे बाया नदी में पानी बढ़ने से पश्चिमी क्षेत्र में होने वाले बाढ़ का खतरा इस बार कम महसूस होगा. दरअसल, पूर्वी चंपारण के कल्याणपुर से निकलने वाली बाया नदी मुजफ्फरपुर जिले के तीन प्रखंडों से से होकर गुजरती है, जिसकी लंबाई लगभग 28.50 किलोमीटर है. नदी की पेटी मिट्टी, बालू व जंगल से भर गया था. इससे बरसात के दिनों में पानी भरने के कारण नदी से सटे गांवों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगता था. नदी का तटबंध भी जर्जर हो चुका था. शिकायत के बाद डीडीसी आशुतोष द्विवेदी ने मनरेगा योजना के तहत नदी की पेटी की उड़ाही शुरू कराया. फरवरी महीने से शुरू हुई उड़ाही अब अंतिम चरण में है. जुलाई के प्रथम सप्ताह में कार्य पूरी हो जायेगी. इस बीच नदी में पानी भी बढ़ने लगा है. कार्य का निरीक्षण कर लौटे डीडीसी आशुतोष द्विवेदी ने बताया कि कई दशकों के बाद बाया नदी की पेटी से गाद निकाला गया है. कुल 137 जगहों को चिन्हित करते हुए उड़ाही का कार्य कराया गया है. कार्य पूर्ण होने के साथ ही आसपास के गांवों में रहने वाले लोगों एवं स्कूली बच्चों के साथ जल जीवन हरियाली अभियान के महत्व को बताते हुए नदी के संरक्षण का संकल्प दिलाया गया है.
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