मुजफ्फरपुर. पांच साल से अधिक समय से शहर में स्मार्ट सिटी के विभिन्न प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. लेकिन, अब तक मोतीझील-कल्याणी-हरिसभा रोड को छोड़ किसी भी ऐसे प्रोजेक्ट का काम पूरा नहीं हुआ है, जिससे अधिक से अधिक लोगों को फायदा हो सके. अखाड़ाघाट, सिकंदरपुर व कंपनी बाग-सरैयागंज टावर रोड में खोदे गये गड्ढे के कारण इन दिनों लगातार इसमें ऑटो व ई-रिक्शा के पलटने से लोग जख्मी हो रहे हैं.
धूल का तो हाल ही मत पूछिए. शहर की लगभग सभी सड़कें, जहां स्मार्ट सिटी से काम चल रहा है. हर जगह धूल ही धूल है. इससे आसपास के लोग काफी परेशान है. यह हाल तब है जब स्मार्ट सिटी कंपनी ने 700 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर चुकी है. अब इसको लेकर खूब सवाल-जवाब शुरू हो गया है.
पब्लिक तो बोल रही है. लेकिन, शहर के जो माननीय है. वह चुप्पी साधे हुए हैं. इसका नतीजा है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर काम कर रही एजेंसियों की मनमानी चरम पर है. प्रशासनिक अधिकारियों की सख्ती के बाद भी काम की रफ्तार कछुआ चाल की तरह है.
जुर्माना व चेतावनी का भी असर नहीं, गड्ढे में गिर रहे पब्लिक
अखाड़ाघाट पेरिफेरल रोड व नाला का निर्माण कर रही एजेंसी पर दो महीने पहले ही स्मार्ट सिटी कंपनी की तरफ से दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. कंपनी ने यह जुर्माना इसलिए लगाया था कि मोतीझील में नाला निर्माण के लिए गड्ढे को खोद छोड़ दिया गया था. इसमें जूरन छपरा की एक महिला गिरकर जख्मी हो गयी थी.
जांच में एजेंसी की लापरवाही सामने आयी. इसके बाद स्मार्ट सिटी कंपनी ने दो लाख रुपये का पेनाल्टी लगाते हुए एजेंसी को बिना बैरिकेडिंग गड्ढा खोद नहीं छोड़ने की सख्ती चेतावनी दी थी. लेकिन, इसका असर नहीं है. अभी भी अखाड़ाघाट पेरिफेरल रोड व नाला निर्माण के लिए जगह-जगह गड्ढा खोद छोड़ दिया गया है.
100 मीटर नाला बनाने में दो महीने से खोद छोड़े हैं गड्ढे
सरैयागंज टावर से सिकंदरपुर मोड़ होते हुए अखाड़ाघाट रोड की तरफ नाला का निर्माण चल रहा है. लगभग दो महीने से एजेंसी 100 मीटर के आसपास नाला बनाने में जुटी है. लेकिन, अब तक इसे पूरा नहीं किया गया है. गड्ढे के ऊपर प्लाई का तख्ता रखा है. वह भी जगह-जगह टूट चुका है. कभी भी खोद कर छोड़े गये गड्ढे में गिरकर राहगीर जख्मी हो सकते हैं. लेकिन, एजेंसी पर कोई असर नहीं है.
डीएम व कमिश्नर को दिखाने के लिए कंपनी बाग, स्टेशन रोड व इमलीचट्टी की तरफ काम चल रहा है. लेकिन, शहर के सबसे ज्यादा व्यस्त व कमर्शियल हब के लिए जाने जानेवाला सरैयागंज टावर व इसके आसपास के इलाके को लावारिस की तरह छोड़ दिया गया है. गड्ढे व धूल से सड़क पर चलना मुश्किल है. अभी जो स्थिति है. इससे लगता है कि शहर की स्थिति कभी सुधरने वाला नहीं है.
डॉ कांतेश कुमार, सिकंदरपुर
बोले व्यवसायी
- एक-दो पब्लिक के बोलने से कुछ नहीं होगा. इसके लिए पब्लिक के द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि को आगे आना होगा. शहर के एक-एक व्यवसायी स्मार्ट सिटी के घटिया कार्य से त्रस्त हैं. एजेंसी की मनमानी चरम पर है. जहां, जैसे मन हो रहा है. गड्ढा खोद छोड़ दिया जा रहा है. अभी अगर बारिश हो जाये, तब जिस तरीके से गड्ढे खोद छोड़ा गया है. इसमें गिरकर सैकड़ों लोगों की जान जा सकती है. –महेश प्रसाद , व्यवसायी
- शहर की जो स्थिति बन गयी है. घर से निकलना मुश्किल है. स्मार्ट सिटी का कार्य स्मार्ट तरीके से होना चाहिए था. लेकिन, जिस तरीके से कार्य हो रहा है. इससे यह स्पष्ट है कि प्रशासन व स्मार्ट सिटी के जो अधिकारी हैं. वह सही तरीके से कार्य योजना तैयार नहीं किया है. खासकर, शहर में निकलना महिलाओं के लिए मुश्किल हो गया है. –अमृता देवी, व्यवसायी