Muzaffarpur News: जिले में कोल्ड डायरिया का बढ़ा प्रकोप, केजरीवाल, एसकेएमसीएच और सदर अस्पताल में पहुंच रहे मरीज

Muzaffarpur News: जिले में ठंड का असर बढ़ते ही कोल्ड डायरिया का प्रकोप बढ़ गया है. विशेषकर छोटे बच्चे इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं. जिले में बीते तीन दिनों में 500 बच्चे इस बीमारी से अस्पताल में भर्ती हुए हैं. जानिए डॉक्टरों ने क्या सलाह दी है.

By Aniket Kumar | December 27, 2024 3:32 PM
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Muzaffarpur News: तापमान में गिरावट के साथ जिले में कोल्ड डायरिया का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है. बीते तीन दिनों में 500 से अधिक बच्चे इस बीमारी की चपेट में आए हैं. जिले के केजरीवाल अस्पताल में दो दिनों में 200 से अधिक बच्चे इस बीमारी को लेकर भर्ती हुए हैं. इसके अलावा सदर अस्पताल और एसकेएमसीएच में भी 300 से अधिक बच्चे भर्ती हुए. डॉक्टरों ने सभी का बीमारी के अनुसार इलाज करने के बाद स्थिति में सुधार देखकर घर भेज दिया. हालांकि, अधिकांश भर्ती बच्चों को कम से कम 24 घंटे तक डॉक्टरों की देखभाल में रखा गया. उल्टी और दस्त पर पूरी तरह नियंत्रण होने के बाद दवा देकर घर भेजा गया.

अधिकांश बच्चे हो रहे कोल्ड डायरिया का शिकार

डॉक्टरों की मानें तो एक से पांच साल तक के अधिकांश बच्चे कोल्ड डायरिया का शिकार हो रहे हैं. शिशु रोग विशेषज्ञ डा. राजीव कुमार ने बताया कि ठंड बढ़ने के कारण बच्चों के शरीर पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. इसके अलावा खानपान का भी सही से ध्यान नहीं रखने के कारण बच्चे कोल्ड डायरिया के शिकार हो रहे हैं. 

ग्रामीण क्षेत्रों से अधिक बच्चे पहुंच रहे 

डॉक्टर ने आगे बताया कि छोटे बच्चे को अधिक ठंड में बाहर नहीं ले जाएं. हमेशा गुनगुना पानी ही पिलाएं. बासी खाना खाने को न दें. हमेशा गर्म कपड़े पहनाकर रखें. घर में ओआरएस का पैकेट अवश्य रखें. अगर अचानक से बच्चे को उल्टी और दस्त होने लगे तो तुरंत उसे ओआरएस का घोल पिलाना शुरू कर दें. इसके बाद नजदीकी अस्पताल में ले जाकर बच्चे को दिखाएं. 

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क्या है कोल्ड डायरिया?

डॉक्टरों के अनुसार, कोल्ड डायरिया मूल रूप से ठंड में वायरस अटैक से होता है. इसके अलावा ठंड में जोयारोट्रो वायरस, इंट्रोवायरस, क्लैपसेला और ईकोलाई से परेशानी होती है. इन वायरसों के शरीर में प्रवेश के बाद बच्चों को पेचिस की शिकायत हो जाती है. इसके अलावा बच्चे ठंड में पानी नहीं पीते हैं, जिसकी वजह से उनके शरीर में पानी की कमी हो जाती है और वो विंटर डायरिया की चपेट में आ जाते हैं.

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