Muzaffarpur News: मुजफ्फरपुर की चर्चित एमबीए छात्रा यशी सिंह के अपहरण मामले में शुक्रवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए CBI द्वारा प्रस्तुत सीलबंद प्रोग्रेस रिपोर्ट को खोला और उसकी जांच के बारे में जानकारी प्राप्त की. CBI ने अपनी रिपोर्ट में अब तक की जांच की स्थिति को साझा किया, हालांकि इसे गोपनीय रखा गया था ताकि जांच पर कोई असर न पड़े. न्यायाधीश के आदेश पर यह रिपोर्ट फिर से सील कर दी गई.
CBI ने तीन माह का समय मांगा, हाईकोर्ट ने मंजूर किया
CBI ने कोर्ट से यशी सिंह मामले की जांच के लिए तीन महीने का अतिरिक्त समय मांगा था, जिसे हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया. CBI ने कोर्ट को बताया कि उन्हें कुछ अहम सुराग मिले हैं, जिनके आधार पर आगे की जांच जारी है. हालांकि, वादी पक्ष के अधिवक्ता अरविंद कुमार ने सीबीआई की जांच को लेकर असंतोष व्यक्त किया और कहा कि CID द्वारा की गई जांच के बाद भी वही दिशा दिख रही है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर ठोस सुराग मिलते तो जांच में तेजी आती.
2022 में हुआ था यशी सिंह का अपहरण
यह मामला 12 दिसंबर 2022 को सदर थाना क्षेत्र के भगवानपुर चौक से एमबीए छात्रा यशी सिंह के लापता होने से शुरू हुआ था. यशी के नाना राम प्रसाद राय के बयान पर अपहरण का मामला दर्ज किया गया. एक साल तक पुलिस यशी का पता नहीं लगा सकी. पुलिस ने सोशल मीडिया खातों की जांच की, दो महिलाओं को गिरफ्तार किया, और एक संदिग्ध को भी पूछताछ के लिए थाने लाया, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला.
हाईकोर्ट और CID की जांच के बाद मामला CBI को सौंपा गया
इसके बाद यशी के परिवार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, और मामला सीआईडी को ट्रांसफर कर दिया गया. CID की भी डेढ़ साल की जांच के बावजूद जब कोई ठोस नतीजा नहीं निकला, तो मामला CBI को सौंपा गया. अब तीन महीने से CBI मामले की जांच कर रही है.
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CBI की सीलबंद रिपोर्ट और आगे की उम्मीद
इस दौरान, हाईकोर्ट के आदेश पर 10 जनवरी को सीबीआई ने सीलबंद प्रोग्रेस रिपोर्ट दाखिल की थी, जिसे शुक्रवार को खोला गया. अब देखना होगा कि CBI के तीन महीने के समय में यशी सिंह के लापता होने का रहस्य हल होता है या नहीं.