मुजफ्फरपुर में प्रॉपर्टी टैक्स में वृद्धि, लेकिन सरकार ने अनुदान में की बड़ी कटौती
Muzaffarpur News: मुजफ्फरपुर में आवासीय और कमर्शियल मकानों के नए सिरे से असेसमेंट की प्रक्रिया चल रही है, जिससे प्रॉपर्टी टैक्स की डिमांड राशि में कई गुना वृद्धि हो गई है.
Muzaffarpur News: मुजफ्फरपुर में आवासीय और कमर्शियल मकानों के नए सिरे से असेसमेंट की प्रक्रिया चल रही है, जिससे प्रॉपर्टी टैक्स की डिमांड राशि में कई गुना वृद्धि हो गई है. अब तक 34 करोड़ रुपये की डिमांड राशि बन चुकी है, जिससे नगर निगम के अधिकारी खुशी से अभिभूत हैं. हालांकि, सरकार इससे खुश नहीं है, क्योंकि वह मानती है कि निगम की इंटरनल आमदनी ठीक नहीं है और नगर निगम अपनी आमदनी से ज्यादा अनुदान पर निर्भर है.
सरकार ने घटाया अनुदान
बीते 11 वर्षों में नगर निगम प्रॉपर्टी टैक्स में कोई वृद्धि नहीं कर पाया है, जिस कारण सरकार ने निगम के लिए अनुदान राशि में कटौती शुरू कर दी है. वित्तीय वर्ष 2022-23 और 2023-24 में सरकार ने अनुदान में अच्छी खासी कमी की है. 2022-23 की तुलना में 2023-24 के अनुदान में 18 करोड़ रुपये की कमी आई है. वहीं, 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर निगम को इस वित्तीय वर्ष में 80 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिली थी, लेकिन अब तक सरकार से महज 40 करोड़ रुपये ही मिले हैं. बाकी 40 करोड़ रुपये पर संशय बना हुआ है.
प्रॉपर्टी टैक्स में वृद्धि की तैयारी
निगम अधिकारी अब प्रॉपर्टी टैक्स में वृद्धि के लिए सशक्त स्थायी समिति और निगम बोर्ड के समक्ष प्रस्ताव लाने की तैयारी में हैं. इसके अलावा, पूर्व नगर आयुक्त नवीन कुमार ने महापौर और स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों को इस समस्या से अवगत कराते हुए कहा था कि जब तक प्रॉपर्टी टैक्स में वृद्धि नहीं होगी, तब तक सरकार अनुदान राशि नहीं बढ़ा सकती है.
महापौर की ओर से जानकारी का इंतजार
महापौर निर्मला साहू ने इस मुद्दे पर कहा था कि पहले पटना में प्रॉपर्टी टैक्स की वसूली की दर की जानकारी प्राप्त की जाए, इसके बाद ही प्रॉपर्टी टैक्स में वृद्धि के मुद्दे पर चर्चा होगी. लेकिन अब तक निगम ने यह जानकारी महापौर को उपलब्ध नहीं कराई है, जिससे टैक्स बढ़ाने का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है.
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निगम को जल्द मिलेगी वित्तीय राहत
इस विवाद और अनुदान में कमी के बीच, निगम अधिकारियों की कोशिश है कि वे प्रॉपर्टी टैक्स की वृद्धि के जरिए वित्तीय स्थिति को सुधारने में सफल हों. अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार के साथ तालमेल बिठाकर नगर निगम इस मुद्दे का हल निकालने में कितना सफल हो पाता है.