मुजफ्फरपुर के बाजार से शाही लीची खत्म, पहली बार 10 रुपये पीस भी हुई बिक्री, जानिए कारण
मुजफ्फरपुर जिले में लीची के दाम अब अंतिम समय आसमान को छू रहा है. ऐसा दशकों बाद हुआ है. जानकार बताते है कि लीची का मूल्य कभी भी 350 सौ के पार नहीं पहुंचा है. भले ही शुरुआती समय में लीची व्यापारी और किसानों को घाटे का सामना करना पड़ा हो, लेकिन अब समापन के समय उन्हें काफी फायदा हो रहा है. लीची के दाम तीन गुनी हो गया है.
मुजफ्फरपुर जिले में लीची के दाम अब अंतिम समय आसमान को छू रहा है. ऐसा दशकों बाद हुआ है. जानकार बताते है कि लीची का मूल्य कभी भी 350 सौ के पार नहीं पहुंचा है. भले ही शुरुआती समय में लीची व्यापारी और किसानों को घाटे का सामना करना पड़ा हो, लेकिन अब समापन के समय उन्हें काफी फायदा हो रहा है. लीची के दाम तीन गुनी हो गया है.
बाजार से शाही लीची खत्म हो चुका है. अभी चाइना ही बाजार में लोगों के लिए उपलब्ध है. 120 से 150 रुपये तक मिलने वाली चाइना लीची अब 250 से 350 रुपये तक बाजार में मिल रही थी. लेकिन वट सावित्री पूजा को लेकर चाइना लीची भी अब तक के रिकॉर्ड मूल्य पर पहुंच गया.
शहर के कंपनी बाग में 350 रुपये सैकड़ा और चार रुपये पीस लीची बिकी. जबकि यही चाइना लीची पानी टंकी चौक पर 10 रुपये पीस और एक हजार रुपये सैकड़ा बिकी. ऐसे में लीची का स्वाद चखने वाले लोगों को अधिक रुपये खर्च करने पड़े. लेकिन, व्यापारी और किसानों को लॉकडाउन के दौरान हुई क्षति को काफी हद तक क्षतिपूर्ति हुई.
लीची का भाव दो से चार दिनों से बढ़ा हुआ है. जिसका मुख्य कारण है कि लीची का फलन कम हुआ. कोरोना काल में लीची की बेहतर ट्रांसपोर्टिंग और रेल सुविधा मिलने से दूसरे राज्यों में अधिक डिमांड हुई.
लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह ने बताया कि अभी चाइना लीची बाजार में उपलब्ध है. यह भी दो तीन दिनों में समाप्त हो सकता है. आज तक लीची की कीमतों में इतनी वृद्धि नहीं हुई है. बेहतर रेल सुविधा मिलने से केवल मुंबई में 20 दिनों में रिकॉर्ड 640 टन लीची भेजी गयी है. कांटी कपरपुरा निवासी लीची व्यापारी अनिल त्रिपाठी ने बताया कि चाइना 250 से कम में नहीं मिल रहा है.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan