मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामला : ब्रजेश ठाकुर ने निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी

Muzaffarpur Shelter Home Case नयी दिल्ली/मुजफ्फरपुर : बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के एक आश्रय गृह में कई लड़कियों के यौन उत्पीड़न मामले के मुख्य अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. सुनवाई अदालत ने मामले में ठाकुर को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनायी है. उच्च न्यायालय इसी सप्ताह उसकी अपील पर सुनवाई कर सकता है. अपील में उसने सुनवाई अदालत के फैसले को खारिज करने का अनुरोध किया है.

By Agency | July 20, 2020 8:56 PM

Muzaffarpur Shelter Home Case नयी दिल्ली/मुजफ्फरपुर : बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के एक आश्रय गृह में कई लड़कियों के यौन उत्पीड़न मामले के मुख्य अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. सुनवाई अदालत ने मामले में ठाकुर को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनायी है. उच्च न्यायालय इसी सप्ताह उसकी अपील पर सुनवाई कर सकता है. अपील में उसने सुनवाई अदालत के फैसले को खारिज करने का अनुरोध किया है.

सुनवाई अदालत ने 20 जनवरी को उसे मामले में दोषी ठहराया था और 11 फरवरी को उसे अंतिम सांस तक उम्रकैद की सजा सुनाई थी. अदालत ने ब्रजेश ठाकुर पर 32.20 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था. इस मामले में अदालत ने ठाकुर के अलावा अन्य अभियुक्तों को भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. सुनवाई अदालत में ठाकुर का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील प्रमोद कुमार दुबे ने पुष्टि की कि ठाकुर की ओर से अपील दायर की गयी है.

ब्रजेश ठाकुर ने अपनी अपील में दलील दी है कि अदालत द्वारा “जल्दबाजी में” सुनवाई की गयी जो संविधान के तहत प्रदत्त स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई के उसके अधिकार का उल्लंघन है. उल्लेखनीय है कि ब्रजेश ठाकुर की संस्था सेवा संकल्प एवं विकास समिति द्वारा संचालित बालिका गृह में नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म सहित अन्य वीभत्स घटनाओं को अंजाम दिया जाता था. इस मामले का खुलासा होने के बाद 31 मई 2018 को मुजफ्फरपुर महिला थाने में केस दर्ज किया गया था.

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक इस मामले में सुनवाई प्रतिदिन चली और छह माह के भीतर पूरी कर ली गयी. अदालत ने 30 मार्च, 2019 को ठाकुर समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे. अदालत ने बलात्कार, यौन उत्पीड़न, नाबालिगों को नशा देने, आपराधिक धमकी समेत अन्य अपराधों के लिए मुकदमा चलाया था.

Upload By Samir Kumar

Next Article

Exit mobile version