मुजफ्फरपुर. छत्तीसगढ़ के रायपुर स्मार्ट सिटी (Smart City) में एक-एक घर को डिजिटल पहचान दी जा रही है. यहां डिजिटल डोर नंबर से प्रत्येक घर को क्यूआर कोड दिया गया है. इस यूनिट आइडी से मकान मालिक को 26 तरह की सुविधाएं मिल रही है. जिसमें डिजिटल डोर नंबर के माध्यम से मकान मालिक को ई-गवर्नेंस माड्यूल से जुड़ी सेवाओं के लिये घर पर लगे यूनिक डिजिटल प्लेट में छपे क्यूआर कोड को स्कैन करना पड़ता है. वहीं दूसरे राज्यों का स्मार्ट प्रोजेक्ट भी हाइटेक रुप ले चुका है. अब मुजफ्फरपुर स्मार्ट सिटी की बात करें तो बीते 6 वर्षों से पूरी टीम नाला और गड्ढा में उलझी हुई है.
फिलहाल शहरवासी डिजिटल डोर नंबर की उम्मीद भी नहीं कर सकते है. चुकी यहां सुबह में जब लोग उठते है, तो घरों के सामने सड़क की जगह बड़ा-बड़ा गड्ढा नजर आता है. स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट के तहत मुजफ्फरपुर में भी डिजिटल डोर नंबर का प्रावधान है. लेकिन यहां हाइटेक के नाम पर चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल व कैमरा जरूर लग गया, लेकिन महज कुछ दिनों में यह व्यवस्था भी जर्जर हो गयी.
रायपुर में डिजिटल डोर नंबर से मिल रही सुविधाएं
क्यू आर कोड से मकान मालिक को 26 तरह की सुविधाएं मिल रही है. ऐसे में दफ्तर का चक्कर नहीं काटना पड़ रहा है. घर बैठे ही सुविधाओं का लाभ मिल रहा है. स्मार्ट सिटी में इस यूनिक नंबर से सम्पत्ति कर, डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण, नल कनेक्शन, नामांतरण, भवन का नक्शा, नियमितीकरण सहित 26 जरूरी सेवाओं के साथ-साथ, पुलिस, एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड की आपातकालीन सेवाएं घर बैठे आसानी से मिल रही. इसके अलावा इस डिजिटल नंबर के माध्यम से सभी संपत्ति मालिकों को अपनी संपत्ति आइडी भी प्राप्त होगी.
मुजफ्फरपुर में हाइटेक व्यवस्था की जगह जानलेवा गड्ढा
मुजफ्फरपुर स्मार्ट सिटी की वर्तमान स्थिति को देखे तो आम लोगों से जुड़ी सड़क और नाला का काम भी पूरा नहीं हो सका है. प्लानिंग के अभाव के कारण एक साथ चौतरफा सड़क काटने का खेल बीते कई वर्षों से चल रहा है. रात के अंधेरे में कभी सीवरेज के लिये, कभी नाले के लिये, कभी बिजली वायरिंग के लिये, एक सड़क को कई बार काटा जाता है. स्मार्ट सिटी का दर्जा मिलने के बाद जब काम शुरू हुआ तो लोग हाइटेक सिटी का सपना देखने लगे, लेकिन फिलहाल हाइटेक की जगह चौतरफा जानलेवा गड्ढा जरूर बन गया है.