मुजफ्फरपुर की सड़कों पर खुदे पड़े हैं मौत के गड्ढे, अब तक खर्च हो चुके 630 करोड़
मुजफ्फरपुर Smart city के तहत सड़कों पर गड्ढे खोद कर छोड़ दिए गए हैं आलं ये है कि ये गड्ढे आम नागरिकों के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं. अब तक स्मार्ट सिटी कंपनी इस कार्य के लिए 630.18 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है.
- रोड व नाला निर्माण से जुड़े प्रोजेक्ट की सुस्ती के कारण हो रही है सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं
- 100 करोड़ डीपीआर बनाने से लेकर स्मार्ट सिटी के इंजीनियर व कर्मियों के वेतन पर हुए है खर्च
- शहर के जनप्रतिनिधि की चुप्पी से एजेंसियों की बढ़ी है मनमानी, प्रशासनिक अधिकारियों की हिदायत भी नहीं आ रहा काम
शहर में पांच साल से अधिक समय से स्मार्ट सिटी (Smart City) के विभिन्न प्रोजेक्ट पर चल रहे काम की हकीकत यही है कि जगह-जगह खोद कर छोड़े गये गड्ढे शहरवासी के लिए अब जानलेवा साबित हो रहे हैं. महेश बाबू-मेहंदी हसन चौक के बीच शनिवार को बच्चे की मौत के बाद तरह-तरह के सवाल उठने लगे है. प्रभात खबर ने जब इसकी पड़ताल की, तो पता चला कि स्मार्ट सिटी के कुल 19 प्रोजेक्ट स्वीकृत हुए है, जिसे पूरा करने के लिए 980 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हाेने हैं. इसमें से अब तक उपलब्ध रिपोर्ट के अनुसार, एक दर्जन प्रोजेक्ट के पूरा होने की बात दर्ज है. बाकी, सात प्रोजेक्ट में से स्टेडियम निर्माण में जुटी एजेंसी को स्मार्ट सिटी कंपनी डिबार कर चुकी है. नयी एजेंसी की चयन प्रक्रिया शुरू है. छह ऐसे प्रोजेक्ट है, जिस पर काम चल रहा है. सभी प्रोजेक्ट को 30 जून तक पूरा करने का आखिरी डेडलाइन तय है. सिर्फ, बैरिया बस स्टैंड के निर्माण से जुड़ी प्रोजेक्ट का काम अगले साल पूरा होगा. रिपोर्ट्स के अनुसार, इन सभी प्रोजेक्ट वर्क में जुटी एजेंसी को 31 मार्च तक स्मार्ट सिटी कंपनी ने 630.18 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है. लगभग 100 करोड़ रुपये प्रोजेक्ट के डीपीआर बनाने से लेकर स्मार्ट सिटी कंपनी में काम करने वाले इंप्लाइज के वेतन पर खर्च हो चुका है. इसके बावजूद, शहर में खोदे गये गड्ढे लोगों की जान लेने को आतुर है.
चुनाव में व्यस्त हुए अधिकारी, फील गुड में एजेंसी
जिले का कार्यभार संभालने के साथ जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने स्मार्ट सिटी के एजेंसियों पर सख्ती दिखायी. तब दिन-रात एजेंसी काम कर आनन-फानन में प्रोजेक्ट को पूरा करने में जुट गयी थी. हालांकि, लोकसभा चुनाव को लेकर लागू हुए आचार संहिता के बीच चुनावी तैयारी में अधिकारियों को जुटते ही निर्माण एजेंसी भी फील गुड में चली गयी है. ऐसे में काम की गति काफी धीमी हो चुकी है. जहां, जैसे गड्ढे की खुदाई की गयी. अभी भी वैसे ही छोड़ दी गयी है. इससे सबसे ज्यादा खराब स्थिति शहर के सरैयागंज टावर-सिकंदरपुर रोड, अखाड़ाघाट आदि इलाके की है.
इधर, चैंबर ऑफ काॅमर्स ने कहा, लगातार गड्ढे में गिरने से जा रही जान
उत्तर बिहार वाणिज्य एवं उद्योग परिषद के महामंत्री सज्जन शर्मा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा है कि स्मार्ट सिटी का जब से शहर में काम शुरू हुआ है. तब से अब तक लगभग आधा दर्जन लोगों की जान जा चुकी है. किसी की मौत करंट लगने से तो किसी की मौत गड्ढे में गिरने से हुई है. शनिवार को मेहदी हसन चौक के समीप जिस मासूम की मौत हुई. बताया जाता है कि निर्माण के कुव्यवस्था के कारण ही वह बस के नीचे चली गयी. अगले महीने से जब बारिश होगी, तब खोदे गये गड्ढे में ना जाने कितने लोगों की जान जायेगी. उन्होंने नगर आयुक्त से अविलंब खोदे गये गड्ढे को भर कर निर्माण कार्य पूरा कराने का आग्रह किया है.
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