मुजफ्फरपुर. कहते हैं, बचपन में हम जो गलती करते हैं, उसको हमारे माता-पिता सुधार कर सही रास्ते पर लाने में मदद करते हैं. लेकिन, कुछ गलतियां ऐसी हो जाती हैं, जिसे सही कर पाना उनके वश में नहीं होता है. मामला थाने तक पहुंचता है, फिर पुलिस उन्हें रिमांड होम भेज देती है. किशोरों को लगता है कि अब उनका इंजीनियर, डॉक्टर व पुलिस बनने का सपना टूट गया. लेकिन, ऐसा नहीं है. सिकंदरपुर स्थित पर्यवेक्षण गृह में वर्ष 2013 से 2022 के बीच बीते नौ साल में 11 किशोर पढ़कर आज सफलता का परचम लहरा रहे हैं. कोई इंजीनियरिंग कर लाखों का पैकेज ले रहा है, तो कई सेना, पुलिस, फिल्म मेकिंग व अकाउंटेंट बन करियर संवार रहे हैं.
2013 से सिकंदरपुर स्थित पर्यवेक्षण गृह में आने वाले विधि विवादित किशोरों को पढ़ने की व्यवस्था की गयी. जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के प्रधान सचिव की ओर से किशोरों को पढ़ने के लिए अलग से स्कूल के लिए कमरा दिया गया. यह पूरे बिहार में 22 पर्यवेक्षण गृह में अकेला है, जहां पढ़ाई की सुविधा है. किशोरों को पढ़ाई में कोई परेशानी न हो, इसके लिए जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक उदय कुमार झा व अधीक्षक गोपाल चौधरी काफी मदद करते हैं.
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रिमांड होम में पढ़ाने वाले रिटायर्ड शिक्षक अमलेश कुमार सिंह ने बताया कि 2013 से 300 से अधिक किशोरों ने मैट्रिक, इंटर व ग्रेजुएशन की परीक्षा पास की है. यहां दो शिफ्ट में क्लास चलती है. सुबह सात से आठ बजे के पहले शिफ्ट में गुरु वंदना, योग व व्यायाम सिखाया जाता है. दूसरा शिफ्ट दोपहर 12 से शाम के चार बजे तक चलता है. इसमें विषयों की पढ़ाई होती है. यहां पहले शिक्षक अमलेश कुमार सिंह बच्चों को पढ़ाते थे. लेकिन, अब सरकार की ओर से दो स्पेशलिस्ट शिक्षक की प्रतिनियुक्ति की गयी है. वहीं, अमलेश सिंह रिटायर्ड होने के बाद मुफ्त में शिक्षा दे रहे हैं.