शह व मात के खेल में उत्तर भारत में कोलकाता के बाद मुजफ्फरपुर था दूसरा बड़ा हब
शह व मात के खेल में उत्तर भारत में कोलकाता के बाद मुजफ्फरपुर था दूसरा बड़ा हब
शतरंज में दस वर्षों तक कायम रही गौरवशाली परंपरा, कई खिलाड़ियों की थी अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग मुजफ्फरपुर. शतरंज के खेल में मुजफ्फरपुर की गौरवशाली परंपरा रही है. एक दशक तक यह शहर शतरंज के हब के नाम से जाना जाता था. उत्तर भारत में कोलकाता के बाद मुजफ्फरपुर शतरंज प्रशिक्षण और चैंपियनशिप का दूसरा बड़ा केंद्र था. यहां शतरंज एसोसिएशन की स्थापना 1985 में की गयी. शतरंज प्रेमी राजीव सिन्हा, रमेश मोटानी, आशीष चौधरी, राजीव, मुकुंद श्रीवास्तव, अरुण सिन्हा, पुनीत कुमार सहित कई लोगों ने मिलकर एसोसिएशन की स्थापना की थी. नयाटोला में इसका कार्यालय था. इसके बाद से यहां लगातार शतरंज चैंपियनशिप होती रही. उस दौरान यहां संजीव कुमार शतरंज के अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग के खिलाड़ी थे, जो फिलहाल मुंबई में आयकर विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर हैं. इसके अलावा संजीव कुमार, सुजीत सिन्हा, गरीबनाथ अमय, सुभाष चंद्र सिन्हा, सुनील सिन्हा, रमेश शाही, जितेंद्र नाथ, दीपम, और सिद्धी दाणी जैसे खिलाड़ियों ने राज्य स्तर पर अपनी पहचान बनायी. यहां के कुमार गौरव को मुंबई चेस फेडरेशन ने ए ग्रांड मास्टर की उपाधि दी. यहां के दीपक कुमार झारखंड में अंतर्राष्ट्रीय आर्बिटर के रूप में अपना योगदान दे रहे हैं. वह एक दौर था जब यहां 1989 से 1991 तक वैशाली ओपन शतरंज, 1992 से 1994 तक अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग शतरंज, 1995 में राष्ट्रीय रैपिड शतरंज, 1996 में सातवीं राष्ट्रीय युवा शतरंज प्रतियोगिता, 1997 में अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग शतरंज प्रतियोगिता और 1998 में राष्ट्रीय ए शतरंज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. इसके बाद 1999 से 2005 तक यहां राज्य शतरंज प्रतियोगिता का आयोजन होता रहा. फिलहाल यहां से फातिमा मरियम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शतरंज प्रतियोगिता में पहचान बनायी. शहर की प्रतियोगिता में कई ग्रैंड मास्टर होते रहे शामिल शहर में आयोजित होने वाली राष्ट्रीय स्तर की शतरंज प्रतियोगिता में कई ग्रैंड मास्टर शामिल होते रहे हैं. शहर में ग्रैंड मास्टर बरुआ, ग्रैंडमास्टर प्रवीण सिण्स, वी शखनन, पी कौगुणेल, अभिजीत कुटे, नीरज मिश्रा, वर्गीज रोशी, सुरजीत शाहा, सहेली धर, जीबी जोशी, लंका रवि, अनुप देशमुख, रवि हेगड़े, विशाल सरीन, के शशिकिरण, के गुरुगन, डीवी प्रसाद, सूर्य शेखर गांगुली, एमवी मुरलीधरन, नीलोत्पलदास, एल अमोचा सहित अन्य खिलाड़ियों ने शहर में आयोजित शतरंज चैंपियनशिप में हिस्सा लेकर शहर को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलायी और यहां के खिलाड़ियों को भी उनसे सीखने का मौका मिला. मुजफ्फरपुर में शतरंज प्रतियोगिता का गौरवशाली इतिहास रहा है. यहां के कई खिलाड़ियों ने अंतर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में अपनी पहचान बनायी. वह एक दौर था जब तत्कालीन डीडीसी ब्रजेश मेहरोत्रा का शतरंज प्रतियोगिता कराने में महत्त्वपूर्ण योगदान था.हमलोग मुजफ्फरपुर को वापस वैसा ही गौरव दिलाने के लिए प्रयासरत हैं. -राजीव रंजन सिन्हा, अध्यक्ष, बिहार शतरंज एसोसिएशन
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