ठंड में बढ़ी हड्डी रोगियों की संख्या, मुजफ्फरपुर के अस्पतालों में रोजाना 300 मरीज
Muzaffarpur Winter Health Issues: मुजफ्फरपुर में ठंड का मौसम न सिर्फ कंपकंपी ला रहा है, बल्कि हड्डी संबंधी बीमारियों की संख्या में खतरनाक इजाफा हो रहा है. सरकारी और निजी अस्पतालों में रोजाना 250 से 300 मरीज हड्डियों की समस्याओं के साथ पहुंच रहे हैं.
Muzaffarpur Winter Health Issues: मुजफ्फरपुर में ठंड का मौसम न सिर्फ कंपकंपी ला रहा है, बल्कि हड्डी संबंधी बीमारियों की संख्या में खतरनाक इजाफा हो रहा है. सरकारी और निजी अस्पतालों में रोजाना 250 से 300 मरीज हड्डियों की समस्याओं के साथ पहुंच रहे हैं. घुटना, पैर टूटने और कमर दर्द जैसी शिकायतें आम हो गई हैं. डॉक्टरों के अनुसार, ठंड के कारण हड्डियां कमजोर हो रही हैं, जिससे मामूली चोटें भी गंभीर परिणाम दे रही हैं.
मुजफ्फरपुर में हर उम्र के लोग हो रहे शिकार
ठंड के इस मौसम में हड्डी टूटने और जोड़ों के दर्द की समस्या ने हर उम्र के लोगों को परेशान कर दिया है. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी हड्डी संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं. मुजफ्फरपुर सदर अस्पताल में रोजाना 200 से 300 मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं, जबकि निजी अस्पतालों में भी ऐसी शिकायतों वाले मरीजों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है.
डॉक्टरों का दावा: ठंड में क्यों टूट रही हैं हड्डियां?
सदर अस्पताल के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. ज्ञानेंदु शेखर ने बताया कि ठंड में लोग सूरज की रोशनी में कम समय बिताते हैं, जिससे शरीर को पर्याप्त विटामिन डी नहीं मिल पाता. इसके अलावा, ठंड में व्यायाम की कमी और बच्चों का आउटडोर खेलों में भाग लेना कम हो गया है, जिससे उनकी हड्डियां कमजोर हो रही हैं। इन परिस्थितियों में हल्की चोटें भी गंभीर बन जाती हैं.
पिछले 15 दिनों में मरीजों की संख्या बढ़ी
डॉक्टरों के अनुसार, पिछले 15 दिनों में हड्डी टूटने, घुटने और कमर दर्द जैसी समस्याओं वाले मरीजों की संख्या में तेज वृद्धि हुई है. अर्थराइटिस और टेनिस एल्बो जैसी समस्याओं वाले मरीज भी इस मौसम में ज्यादा परेशान हो रहे हैं. ठंड के कारण अर्थराइटिस पीड़ितों की तकलीफें कई गुना बढ़ गई हैं.
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बच्चों में भी बढ़ रही समस्याएं
ठंड के कारण बच्चे भी कमर और घुटने के दर्द जैसी समस्याओं का शिकार हो रहे हैं. आउटडोर खेलों की कमी के कारण उनकी हड्डियां कमजोर हो रही हैं, जिससे चोट लगने पर वे जल्दी टूट रही हैं. डॉक्टरों ने बच्चों को नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियों में शामिल करने की सलाह दी है.