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जनरल में बच्चे, AC में सरगना, बिहार में ट्रेन से बच्चों की तस्करी के नए तरीके का खुलासा

देश में परिवहन के लिए सबसे बड़ा नेटवर्क रेलवे का है, ऐसे में मानव तस्करों के गिरोह ट्रेंड बदलकर ट्रेन का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसे ही एक नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है.

मुजफ्फरपुर-यशवंतपुर (बेंगलुरु) एक्सप्रेस में मानव तस्करों का रैकेट एक बार फिर से बेनकाब हुआ है. दिनों चार दिसंबर को आरपीएफ के साथ अलग-अलग टीम ने मिल कर 6 बच्चों को मुक्त कराया है. गोपनीय सूचना के आधार पर आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा स्टेशन पर टीम ने छापेमारी की. जिसमें 5 मानव तस्करों को हिरासत में लेते हुए छह बच्चों को बचाया गया. ये बच्चे बिहार और पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं, जिन्हें बाल श्रम के लिए चेन्नई और बेंगलुरु ले जाया जा रहा था. करीब दो महीने में मुजफ्फरपुर-यशवंतपुर एक्सप्रेस से अलग-अलग जगहों पर तीसरी बार मानव तस्करों को पकड़ा गया है.

एसी में बैठा रहता है, गिरोह का मुख्य सदस्य

आरपीएफ से मिली जानकारी के अनुसार बच्चों को बाहर ले जाने में मानव तस्करों का एक पूरा ग्रुप काम करता है. हाल के दिनों रैकेटे के मेन सदस्य को एसी कोच से गिरफ्तार किया गया था. बाकि बच्चों के साथ जनरल कोच में चार से पांच सदस्य को निगरानी के लिये लगा दिया जाता है. गिरोह का मेन सदस्य मोबाइल पर लगातार स्थिति के बारे में अपडेट लेते रहता है. इसमें हाल के दिनों में रैकेट के साथ महिला सदस्य भी काम कर रही है.

11 महीने में 135 बच्चे हुए मुक्त, 45 मानव तस्करों को दबोचा

एक आंकड़े के अनुसार इस वर्ष जनवरी से नवंबर तक ट्रेन से किसी दूसरे राज्य ले जाए जा रहे 135 बच्चों को आरपीएफ की टीम ने तस्करों से मुक्त कराया है. गिरोह के 45 मानव तस्करों को गिरफ्तार किया गया है. रिकार्ड के अनुसार अधिकतर बच्चों को जालंधर, अमृतसर, लुधियाना, दिल्ली व बेंगलुरु जाने वाली ट्रेनों से छुड़ाया गया है. बिचौलिए काम के बदले अच्छी रकम का वादा कर बच्चों को घरों से बहला-फुसलाकर लाकर तैयार करते हैं. हाल ही में कर्मभूमि एक्सप्रेस से एक साथ 19 बच्चों को ले जाने के मामले में चार लोगों की गिरफ्तारी के बाद आरपीएफ सतर्क हो गई है. इस मामले में आरपीएफ कमांडेंट अमिताभ ने मानव तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए विशेष निगरानी रखने व लगातार अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं.

जबरदस्ती कराये जाते हैं अनैतिक काम

पीड़ितों को उनके मूल स्थानों से उठाकर दूसरी जगहों पर ट्रेनों द्वार से ले जाया जाता है. वहां उनसे जबरन मजदूरी, शादी, घरेलू काम और भीख मांगने जैसे काम करवाए जाते हैं. कई बार तस्कर मासूम लोगों के अंगों का प्रत्यारोपण भी कर देते हैं और इन लोगों का इस्तेमाल ड्रग्स को एक जगह से दूसरी जगह भेजने के लिए भी किया जाता है और इसके सबसे बड़े शिकार बच्चे होते हैं.

देश भर में 750 एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट

रिकॉर्ड के तहत देशभर में 750 एएचटीयू (एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट) की स्थापना की गयी है. इन एएचटीयू का काम पुलिस, थानों की एएचटीयू, खुफिया एजेंसियों, मानव तस्करी को रोकने काम कर रहे एनजीओ के साथ समन्वय कर ट्रेनों के जरिए होने वाली मानव तस्करी के खिलाफ कार्रवाई करना है. इन्हीं एएचटीयू के जरिए आरपीएफ ने मानव तस्करी को रोकने ऑपरेशन आहट (एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग) नामक अभियान शुरू किया है.

मानव तस्करों को पकड़ने के लिए कुछ खास रूट की गाड़ियों में आरपीएफ की विशेष टीम लगातार निगरानी कर रही है. हाल के दिनों में तस्करों को पकड़ने में सफलता भी मिली है. गिरफ्तार हुए तस्करों की सूचना पर अन्य गिरोह को पकड़ने के लिए कार्रवाई की जा रही है.

– मनीष कुमार, आरपीएफ इंस्पेक्टर

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