एआइ करेगी जांच, जीएसटी लाइसेंस पर किए गए कारोबार का बनायेगी डाटा
राज्य कर विभाग तीन महीने के अंदर मुख्यालय को सौंपेगा एआइ की रिपोर्ट
उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर
अब जीएसटी के फर्जी लाइसेंस से कारोबार करने वाले या फर्जी इ-वे बिल से सामान मंगाने वाले कारोबारी नहीं बच पाएंगे. ऐसे कारोबारी जो लाइसेंस लेकर लंबे समय से रिटर्न नहीं दे रहे हैं, उनकी भी पहचान हो जाएगी. राज्य कर विभाग ने इसका जिम्मा एआइ को सौंप दिया है. एआइ ने इस पर 16 अगस्त से काम भी शुरू कर दिया है. वह जीएसटी लागू होने के बाद से जीएसटी के प्रत्येक लाइसेंस पर 2007 से किए गए कारोबार की रिपोर्ट तैयार कर रही है, जिसमें प्रत्येक महीने खरीदे गए सामान, सामान कहां से खरीदा गया, उस मद में कितना टैक्स चुकता किया गया, स्टॉक में कितना माल दिखाया गया. हर महीने कितना इ-वे बिल निकला, सामान आने के बाद स्टॉक की क्या स्थिति रही. हर महीने कितने सामान की बिक्री हुई और हर महीने रिटर्न भरा गया या नहीं. कभी विभाग की ओर से पेनाल्टी तो नहीं लगायी गयी, पेनाल्टी लगायी गयी तो उसका क्या कारण था. इस मद में कितनी राशि चुकता की गयी का डाटा शामिल है. एआइ पूरी समग्रता से पिछले सात वर्षों का डाटा निकालेगा, जिससे पता चलेगा कि कारोबारी रिटर्न और टैक्स के मामले में कहीं गड़बड़ी तो नहीं की है. इस दौरान फर्जी लाइसेंस पर कहीं इ-वे बिल निकाल कर सामान मंगाया गया होगा, तो इसकी रिपोर्ट भी एआइ तैयार कर देगा. इससे पता चलेगा कि बिहार और दूसरे राज्यों से कितना सामान मंगाया गया. सामान मंगाने के लिए जिस लाइसेंस का उपयोग किया गया है, वह रजिस्टर्ड है या नहीं.
पकड़ में आएंगे लाइसेंस लेकर रिटर्न नहीं देने वाले कारोबारी
एआइ की रिपोर्ट से ऐसे कारोबारियों की पहचान हो जाएगी जो जीएसटी लाइसेंस लेकर रिटर्न नहीं जमा कर रहे हैं. जीएसटी लागू होने के बाद पिछले सात वर्षों में कितने कारोबारियों ने लाइसेंस लिया और इसके बाद कितने महीने तक रिटर्न दिया है, इसकी जानकारी मिलेगी. साथ ही लाइसेंस लेकर एक भी रिटर्न और टैक्स नहीं देने वाले कारोबारियों का पता चलेगा. एआइ लाइसेंस के लिए दिए गए आधार कार्ड और पैन कार्ड के जरिए उसका पता मालूम करेगा और इसकी एक रिपोर्ट तैयार कर देगा. इससे राज्य कर विभाग के अधिकारियों को लाइसेंस लेने वाले व्यक्ति को ट्रेस कर पाना आसान हो जाएगा.
वर्जन
राज्य कर विभाग ने फर्जी लाइसेंस से कारोबार करने वाले या बिना इ-वे बिल के सामान मंगाने वाले कारोबारियों की रिपोर्ट तैयार करने के लिए एआइ का सहारा लिया है. एआइ सूबे के सभी कारोबारियों की रिपोर्ट तैयार कर रही है. उसके सारे लेन-देन का हिसाब तैयार किया जा रहा है. तीन महीने तक एआइ के रिपोर्ट को देखा जाएगा. इसके बाद स्पेशल ड्राइव चला कर ऐसे कारोबारियों पर कार्रवाई की जाएगी.
सत्येंद्र कुमार सिन्हा, राज्य कर अपर आयुक्त, तिरहुत प्रमंडल
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आयकर रिटर्न की जांच कर रहा एआइ
आयकर विभाग ने भी आयकर रिटर्न की जांच के लिए एआइ का सहारा लिया है. इसके जरिये सभी आयकर दाताओं की रिपोर्ट बनायी जा रही है. आयकर रिटर्न में पिछले साल की अपेक्षा व्यवसाय का कम ग्रोथ दिखाने वाले कारोबारियों का एआइ अलग से रिपोर्ट तैयार कर रहा है. गलत रिटर्न भरने और अपनी आय छिपाने वाले लोगों के लिए एआइ उनके पैन कार्ड को स्कैन कर रहा है, इसके जरिये उनके द्वारा खरीदे गए सामान की सूची बना कर उनके आय का मिलान कर रहा है. फिर इसकी फाइनल रिपोर्ट तैयार कर रहा है. इससे आयकर अधिकारियों का काम बहुत आसान हो गया है. आयकर अधिकारी ने बताया कि एआइ के आने से अब किसी भी व्यक्ति की आयकर का इतिहास एक से दो मिनट में निकल जा रहा है.
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