ऑटो-टोटो से अब स्कूल नहीं जायेंगे बच्चे
ऑटो-टोटो से अब स्कूल नहीं जायेंगे बच्चे
-बच्चों को ऐसे वाहनों पर ले जाने पर बैन
-सुरक्षा को लेकर परिवहन विभाग हुआ सख्त-परिवहन सचिव ने डीएम, एसपी को पत्र लिखामुजफ्फरपुर.
स्कूली बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर परिवहन विभाग ने निर्देश दिये हैं. स्कूली बच्चे अब ऑटो-टोटो से स्कूल नहीं भेजे जायेंगे. इसका उल्लंघन हाेने पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी.इन वाहनों से स्कूली बच्चों को पहुंचाने पर बैन है. बिहार सड़क सुरक्षा परिषद के सदस्य सचिव सह परिवहन सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने सूबे के सभी डीएम सह जिला सड़क सुरक्षा समिति के अध्यक्ष, एसपी सह सदस्य जिला सड़क सुरक्षा समिति, डीटीओ को दिशा-निर्देश दिये हैं. हाल ही में बिहटा थाना क्षेत्र में ऑटो व ट्रक की टक्कर में तीन छात्रों की हुई मौत व आठ घायलों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि बच्चों की सुरक्षा के दृष्टिकोण से इ-रिक्शा (टोटो ) व ऑटो सुरक्षित नहीं हैं. अक्सर दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. राज्य स्तर से इ-रिक्शा व ऑटो से स्कूली छात्र-छात्राओं के परिचालन पर रोक लगा दी गयी है. विभाग द्वारा स्कूली बच्चों के परिवहन को लेकर गाइडलाइन जारी की है. जिसमें स्कूल प्रबंधन, वाहन संचालक और अभिभावकों की जिम्मेदारी तय है. इसके बावजूद स्कूली बच्चों का परिवहन ऑटो व इ-रिक्शा से धड़ल्ले से हो रहा है जो ऐसी दर्दनाक घटनाओं की वजह बन रहा है. स्कूल प्रबंधन को इसके प्रति गंभीर होना पड़ेगा. इधर, मामले में डीटीओ कुमार सत्येंद्र यादव ने बताया कि इस संबंध में कार्रवाई को लेकर एमवीआइ, इआइ और इएसआइ को निर्देश दिये गये हैं.चंद पैसे बचाने में जिंदगी दांव पर
स्कूली बच्चों के परिवहन के लिए वाहन कंपनियों द्वारा छोटे-छोटे चौपहिया ऑटो स्कूली मानक के अनुसार उपलब्ध है. लेकिन स्कूल प्रबंधन सस्ते के चक्कर में लोकल स्तर पर तीन ऑटो को हायर करते हैं. इतना ही नहीं, उस ऑटो पर स्कूल का नाम तक अंकित होता है. बिना स्कूल प्रबंधन के अनुमति के ऑटो चालक ऐसा नहीं करते. वहीं अभिभावक भी मजबूरी में अपने बच्चों को ऑटो से भेजने को राजी हो जाते हैं. इसे पैसा बचाने का लालच ही कह सकते हैं, क्योंकि कोई भी अभिभावक इस तरह अपने बच्चों की जिंदगी खतरे में नहीं डाल सकते.बच्चों के लिए ऑटो व टोटो सुरक्षित नहीं
एक तो ये वाहन बैठाने की क्षमता से अधिक यात्री लेकर चलते हैं. इ-रिक्शा का परिचालन शहर के अंदर छोटी दूरी तय करने के लिए होता है, इसमें कोई गेट नहीं होता. इनका उपयोग यात्रियों के परिवहन के लिए किया जाता है. शहर से गांवों में सैंकड़ों स्कूल है. जहां बच्चों का स्कूल ले जाने के लिए इन थ्री व्हीलर वाहनों का इस्तेमाल बड़ी संख्या में हो रहा है. इधर हाल के वर्षों में इ-रिक्शा का भी परिचालन काफी बढ़ गया है. स्कूली बच्चों के परिवहन के लिए चलने वाले वाहनों का एक मानक तय है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है