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बिल्डिंग बायलॉज का उल्लंघन कर बने मार्केट कॉम्पलेक्स की जांच शुरू, हड़कंप

बिल्डिंग बायलॉज का उल्लंघन कर बने मार्केट कॉम्पलेक्स की जांच शुरू, हड़कंप

By Prabhat Khabar News Desk | August 8, 2024 10:52 PM

– शहर के कई सफेदपोश, डॉक्टर व व्यवसायी नगर निगम के रडार पर, निर्माणाधीन भवनों पर रोजाना नगर निगम गिरा रहा फीता- चक्कर चौक से कलमबाग, अघोरिया बाजार व मिठनपुरा के बीच भवनों के निर्माण में खामियां मुजफ्फरपुर. शहर में बेतरतीब तरीके से चल रहे आवासीय एवं कमर्शियल भवनों के निर्माण को लेकर नगर निगम ने सख्ती बरतना शुरू कर दिया है. गठित जांच टीम रोजाना तीन से चार बड़े बिल्डिंगों पर फीता गिरा जांच कर रही है. इसमें अब तक एक दर्जन से अधिक बिल्डिंग (मार्केट कॉम्पलेक्स) की जांच हुई है, जिसका निर्माण बिल्डिंग बायलॉज का उल्लंघन कर किया गया है. ऐसे बिल्डिंग सुरक्षा के दृष्टिकोण से भविष्य के लिए खतरा है. इसकी संयुक्त जांच रिपोर्ट सहायक टाउन प्लानर, इंजीनियर व अमीन नगर आयुक्त को देंगे. इसमें चक्कर चौक से स्पीकर चौक, कलमबाग चौक, अघाेरिया बाजार, मिठनपुरा तक के कई ऐसे सफेदपोश, डॉक्टर व व्यवसायी चिह्नित हुए हैं, जो नगर निगम से स्वीकृत नक्शे के खिलाफ बिल्डिंग का निर्माण किया है. हालांकि, कई ऐसे प्रभावशाली व्यक्ति हैं, जिनका नक्शा नगर निगम से गायब हो गया है. खोजबीन में नहीं मिलने के बाद जांच टीम वैसे बिल्डिंग के स्वामी को नोटिस कर स्वीकृत नक्शा की कॉपी उपलब्ध कराने का आदेश दिया है. इसके बाद नक्शा के आधार पर दोबारा अमीन व इंजीनियर फीता गिरा निर्माण किये गये भवनों की जांच करेंगे. सरकारी जमीन व नाला को कब्जा कर निर्माण अब तक हुई जांच में अघोरिया बाजार, मिठनपुरा, कलमबाग व लेनिन चौक के बीच बने कई ऐसे बड़े मार्केट कॉम्पलेक्स है, जिसका निर्माण सरकारी जमीन के कुछ हिस्से पर कब्जा कर किया गया है. नगर निगम इसकी भी जांच में जुटी है. नाला व रोड की जमीन को कब्जा कर निर्माण किये गये भवनों को लेकर सबसे ज्यादा तहसीलदार, अंचल इंस्पेक्टर व वार्ड जमादार की तरफ से गोपनीय रिपोर्ट देकर की गयी है. सेटबैक छोड़े बिना बिल्डिंग का निर्माण बिल्डिंग बायलॉज के अनुसार, कोई भी आवासीय व कमर्शियल भवन बनाने से पहले स्वीकृत नक्शा के अनुसार चारों तरफ या फिर जगह के हिसाब से सेटबैक छोड़ना है. अब तक जितने भवनों की जांच हुई है. किसी में सेटबैक सहित अन्य बिल्डिंग बायलॉज का पालन नहीं किया गया है. जांच में कई ऐसे भी भवन मिला है, जिसका नक्शा स्वीकृत तीन से चार फ्लोर तक का है. लेकिन, निर्माण पांच से छह फ्लोर तक कर दिया गया है.

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