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सरकारी विभागाें की लेटलतीफी से ग्रेटर मुजफ्फरपुर का मास्टर प्लान बनाने में ”आंकड़े” का अड़ंगा

Obstacles of 'data' in making master plan

प्लानिंग एरिया के आंकड़े देने में बरती जा रही लापरवाही

40 से मांगी गयी थी जानकारी अब तक 33 ने ही उपलब्ध कराया आंकड़ा

2045 तक की संभावित जनसंख्या के आधार पर बनना है मुजफ्फरपुर का मास्टर प्लान

वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर

मुजफ्फरपुर आयोजना क्षेत्र यानी ग्रेटर मुजफ्फरपुर के आगामी 21 सालों की जनसंख्या का ख्याल रखते हुए 2045 तक के लिए तैयार होने वाले मास्टर प्लान की कवायद तेज हो गयी है. इसके लिए सरकार ने जिस एजेंसी को जिम्मेदारी दी है, उसने मुजफ्फरपुर आयोजना क्षेत्र में शामिल शहर से सटे 216 गांवों के शहरीकरण को लेकर जीआईएस (भौगोलिक सूचना तंत्र) सर्वे करना प्रारंभ कर दिया है. हालांकि, सरकारी डिपार्टमेंट से मांगी गयी बिंदुवार जानकारी उपलब्ध कराने में हो रही लेटलतीफी के कारण इसमें विलंब हो सकता है. कुल 40 विभागों से वर्तमान व भविष्य के शहर को लेकर बिंदुवार जानकारी मांगी गयी थी. इसमें से प्रमुख सात ऐसे विभाग है, जो अब तक जानकारी उपलब्ध ही नहीं करायी है. इसमें मुजफ्फरपुर शहर से सटे कांटी नगर परिषद, जिला कोऑपरेटिव ऑफिस, मुजफ्फरपुर स्मार्ट सिटी, मुशहरी व कांटी का अंचल ऑफिस, रेलवे, डिस्ट्रिक्ट रूरल डेवलपमेंट एजेंसी और एनएचएआई शामिल हैं. वेबसाइट पर उपलब्ध ऑनलाइन डाटा के अनुसार, 40 में से 33 विभागों ने जानकारी उपलब्ध कराया है. इसमें मुजफ्फरपुर नगर निगम, पीएचईडी, फायर डिपार्टमेंट, बाजार समिति, बुडको, वन विभाग, पॉल्यूशन कंट्रोल पर्षद, पुलिस, जिला प्रशासन, भवन निर्माण विभाग, वाटर रिसोर्स डिपार्टमेंट, बियाडा, पंचायती राज विभाग, कृषि, अंचल कार्यालय कुढ़नी, मड़वन, बोचहां और मीनापुर के अलावा जिला परिवहन कार्यालय, रजिस्ट्री ऑफिस आदि शामिल हैं.

सैटेलाइट सर्वे कर एजेंसी तैयार कर रही रिपोर्ट, 2017 में मिली थी मंजूरी

नगर विकास एवं आवास विभाग से चयनित एजेंसी सैटेलाइट सर्वे कर प्लानिंग एरिया से संबंधित पूरी रिपोर्ट तैयार कर रही है. सर्वे के दौरान सबसे ज्यादा फोकस आयोजना क्षेत्र में शामिल गांवों की विकास को लेकर है. शहर से सटे होने के कारण इन इलाके में भी शहरीकरण दिखे. शहर की तरह ही हर तरह की सुविधाएं (स्कूल, कॉलेज, अस्पताल से लेकर मॉल व बाजार तक) लोगों को मिले. इन सभी बिंदुओं पर फोकस करते हुए एजेंसी काम कर रही है. सर्वे के दौरान घनी आबादी वाले मोहल्ले व खाली जमीन पर एजेंसी का ज्यादा फोकस है. ताकि, भविष्य में जरूरत के अनुसार, खाली जमीन का उपयोग पब्लिक को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने को लेकर किया जा सके. ताकि, भविष्य में शहर का सुनियोजित विकास संभव हो सके. बता दें कि मुजफ्फरपुर आयोजना क्षेत्र के प्रस्ताव की मंजूरी पहली बार 17 मई 2017 को राज्य कैबिनेट से मिली थी.

सितंबर से प्लानिंग एरिया के भवनों का नक्शा निगम कर रहा पास

मुजफ्फरपुर आयोजना क्षेत्र का कुल क्षेत्रफल 218.63 वर्ग किलोमीटर है. इसमें मुजफ्फरपुर नगर निगम से सटे जिले के छह प्रखंड के कुल 216 राजस्व गांव को शामिल किया गया है. इन गांवों में बनने वाले भवनों की नक्शा स्वीकृत पहले एसडीओ पूर्वी के ऑफिस से हो रहा था. लेकिन, बीते अगस्त-सितंबर महीने में सरकार ने इसकी जिम्मेदारी नगर निगम को सौंप दी है. आयोजना क्षेत्र के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी नगर आयुक्त बनाए गए हैं. तब से अब तक आयोजना क्षेत्र में शामिल 216 गांवों का नक्शा शहर की तरह नगर निगम ऑफिस से ही स्वीकृत हो रहा है.

बॉक्स ::: जिन प्रखंडों के गांव हैं शामिल

मुशहरी : 115 राजस्व ग्राम

कांटी : 43 राजस्व ग्राम

मड़वन : 23 राजस्व ग्रामकुढ़नी : 18 राजस्व ग्राम

बोचहां : 10 राजस्व ग्राम

मीनापुर : 07 राजस्व ग्राम

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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