वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर
हीट वेब को लेकर लोग बीमार अधिक हो रहे हैं. ऐसे में मरीजों की भीड़ भी सरकारी अस्पताल में अधिक हो रही है, लेकिन जिले के सदर अस्पताल, रेफरल अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, उपस्वास्थ्य केंद्रों में इन दिनों मुफ्त में मिलने वाली दवाओं की घोर किल्लत है. यहां तक कि जीवन रक्षक दवा भी नहीं मिल रही है. ओपीडी में 33 प्रकार की दवाओं के बदले सिर्फ 10 और इंडोर में 111 प्रकार की दवाओं के बदले सिर्फ 36 दवाएं ही दी जा रही है. गंभीर मरीजों को सीधे एसकेएमसीएच रेफर किया जा रहा है.मरीजों की मानें तो जरूरी दवाएं नहीं मिलने से इलाज कराने वाले आने वाले मरीजों को परेशानी बढ़ी हुई है. सर्दी, खांसी और बुखार व आंख-कान के मरीजों को दी जाने वाली जरूरी दवाओं के साथ ही अन्य आवश्यक दवाएं नदारत हैं. ऐसे में मरीजों को बाहर से दवाएं खरीदने के लिए अलग से पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं. अधिकारिक तौर पर सिर्फ जल्द दवाएं उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया जा रहा है, जबकि मरीज व उनके परिजन खुद को लाचार और असहज महसूस कर रहे हैं.
बाहर से लाते हैं दवा बीमारी का इलाज कराने के बाद
सदर अस्पताल पहुंचे मरीज ने बताया कि दवा नहीं मिलने से इलाज प्रभावित हो रहा है. सरकारी अस्पताल की ऐसी बदतर स्थिति पहले कभी नहीं था. दवा काउंटर पर सीधे बाहर से दवा खरीदने के लिए कहा जा रहा है. रेखा देवी अपनी गर्भवती पत्नी का इलाज कराने आये युवक ने बताया कि चिकित्सक द्वारा चार तरह की दवाएं लिखी गयी है लेकिन एक भी दवा नहीं मिली है. ऐसे में सरकारी अस्पताल में इलाज कराने कोई क्यों आयेगा. उमेश साह अपनी पत्नी का इलाज कराने आये थे, बताया कि दवा काउंटर पर कोई दवा उपलब्ध नहीं है. उपाधीक्षक डॉ एनके चौधरी ने कहा कि दवा की सूची भेजी गयी हैं. अस्पताल में दवाओं की कमी है. जरूरी दवाओं को रोगी कल्याण समिति के माध्यम से खरीदा जा रहा है. राज्य स्वास्थ्य समिति को दवाओं की सूची भेजी गयी है, लेकिन अभी तक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं हो सकी है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है