नेपाली नागरिकों की गतिविधियों की पुलिस कर रही जांच, पहचान पत्र से लेकर मिली कई गड़बड़ी

नेपाली नागरिकों की गतिविधियों की पुलिस कर रही जांच, पहचान पत्र से लेकर मिली कई गड़बड़ी

By Prabhat Khabar News Desk | June 9, 2024 12:42 AM

मुजफ्फरपुर. सदर थाना क्षेत्र के खबड़ा में एक तीन मंजिला बिल्डिंग में चल रहे नेपाली छात्रों की ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट संदेह के घेरे में हैं. मिलिट्री इंटेलिजेंस लखनऊ को मिली गुप्त सूचना के आधार पर सदर थाने की पुलिस व डीआइयू की टीम वहां पहुंच कर छानबीन की है. सिटी एसपी अवधेश सरोज दीक्षित ने पुलिस से जांच में क्या- क्या तथ्य सामने आये हैं, इसकी रिपोर्ट मांगी है. बताया जाता है कि जिस नाम से यह ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट चल रहा है, छानबीन के दौरान वहां उस तरह की ट्रेनिंग नेपाली छात्रों को दिये जाने का साक्ष्य नहीं मिला है. नेपाली छात्रों से पूछताछ की जाने पर इंजीनियरिंग, एग्रीकल्चर, कुकिंग, आइटीआइ, फैशन डिजाइनिंग, नर्सिंग, होटल मैनेजमेंट, एमबीए और मैनेजमेंट से जुड़ी ट्रेनिंग के लिए नेपाल से आने की बात कही है. लेकिन, उनको इस तरह की ट्रेनिंग देने का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है. वहीं, संस्थान के जो डायरेक्टर है उसकी भी भूमिका संदेह के घेरे में है. चर्चा है कि उसकी नेपाल की नागरिकता है और उसने यूपी के वाराणसी से भी अपना आधार कार्ड बनवा लिया है. मुजफ्फरपुर के खबड़ा में बीते मार्च माह में एक महिला से जमीन की रजिस्ट्री कराई है. एक बिल्डिंग में नेपाल के 650 से 750 लड़के – लड़कियों को ट्रेनिंग के नाम पर रखा गया है. 80 से 85 मास्टर ट्रेनर लड़कों को ट्रेनिंग दे रहे हैं. इनमें से किसी के पास कोई टेक्निकल डिग्री नहीं है. छानबीन के दौरान यह भी बात सामने आयी है कि यह ट्रेनिंग कोई लिमिट टाइम या समय के लिए नहीं दी जा रही है. हालांकि, ट्रेनिंग कर रहे लड़के – लड़कियां कुछ भी खुलकर नहीं बोल रहे हैं. उनसे ट्रेनिंग कराने के नाम पर आठ हजार भारतीय रुपये में बुलाया जाता है, फिर ट्रेनिंग पूरी करते- करते 25 से 30 हजार रुपये वसूली जा रही है. वहां ट्रेनिंग करने वाले लड़के व लड़कियां जो पुराने हो जा रहे हैं, उनको मास्टर ट्रेनर बनाकर वहीं, पर नौकरी दे दी जा रही है. अगस्त 2023 से यह ट्रेनिंग सेंटर खबड़ा में किराये के तीन मंजिला मकान में चल रहा है. इसके संचालन में करीब आधा दर्जन पार्टनर शामिल है. अब यह पुलिस जांच कर रही है कि नेपाल के लड़के- लड़कियां जिनकी संख्या करीब 700 के आसपास है, उनको ट्रेनिंग पूरी होने के बाद कहां भेजा जाता है. कहीं, उनको ह्यूमन ट्रैफिकिंग की जाल में तो नहीं फंसाया जा रहा, या फिर मादक पदार्थों की तस्करी, देह व्यापार या फिर कोई और संदिग्ध गतिविधियों में तो नहीं इस्तेमाल किया जा रहा है. इसकी गोपनीय तरीके से जांच की जा रही है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version