Munshi Premchand : नीतीश्वर कॉलेज में साहित्य के सामाजिक सरोकार और प्रेमचंद ” विषय पर गोष्ठी मुजफ्फरपुर. नीतीश्वर महाविद्यालय के हिंदी विभाग की ओर से प्रेमचंद की जयंती के उपलक्ष्य में “साहित्य के सामाजिक सरोकार व प्रेमचंद ” विषय पर विचार गोष्ठी हुई. कार्यक्रम का उद्घाटन प्राचार्य डॉ. मनोज व विवि हिंदी विभाग की अध्यक्षा प्रो (डॉ) सुधा, वरीय प्राध्यापक डॉ सुशांत कुमार ने संयुक्त रूप से दीप जला कर किया. प्रो सुधा ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य मानव मूल्यों का दस्तावेज है. प्रेमचंद के पात्र आज भी हमारे समाज में मौजूद है. उन्होंने ”घासवाली” कहानी की चर्चा की. नारी प्रश्न पर भी विस्तार से विवरण प्रस्तुत किया. उन्होंने प्रेमचंद की कई कहानियों की सामाजिक यथार्थ का उल्लेख किया. डॉ सुशांत ने कहा कि प्रेमचंद ने जीवन के सच को यथार्थ रूप में हमारे सामने रखा. उन्होंने नमक का दारोगा व सौभाग्य के कोड़े कहानी के माध्यम से प्रेमचंद के साहित्य के सामाजिक सरोकार को प्रस्तुत किया.
Munshi Premchand : क्या है प्रेमचंद कि विशिष्टता ?
महाविद्यालय हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ बेबी ने कहा कि प्रेमचंद का संपूर्ण कथा साहित्य मानवीयता के सार तत्वों की गहन अनुभूति को समेटे हुए है. यही प्रेमचंद की विशिष्टता है. वरीय शिक्षक प्रो निखिल रंजन प्रकाश ने कहा कि जीवन की गहन व सूक्ष्म निरीक्षण दृष्टि ही प्रेमचंद को एक बड़ा रचनाकार बना देती है. कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य डॉ मनोज कुमार ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य जीवन को करीब से देखता है और ज्यों-का-त्यों हमारे सामने रख देता है. कार्यक्रम के दौरान हिंदी विभाग के प्राध्यापक शशि पासवान, डॉ कमरान गनी, डॉ नीतू सिंह, डॉ इंद्राणी राय, डॉ रणवीर, डॉ रविंद्र, डाॅ संजीव, डॉ हुसैन दिल्शी, डॉ दिव्या अंशु, डॉ नूतन, डॉ जय श्री सिंह, डॉ सावित्री, डॉ अजीत, डॉ प्रवाल, डॉ रवि रंजन, डॉ पंकज सहित शिक्षक उपस्थित थे.
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