मुजफ्फरपुर.
स्कूली बच्चों को ढोए जाने में इ-रिक्शा व ऑटो पर पाबंदी लगाने के फैसले पर, ऑटो संघ ने नाराजगी जतायी. बैरिया स्थित कार्यालय में हुई बैठक में सभी ने इसका विरोध करते हुए प्रदर्शन किया. संघ ने कहा कि ऐसा कोई आदेश सरकार ने जारी नहीं किया है. अध्यक्ष एआर अन्नु व महासचिव मो इलियास इलु ने बताया कि इस संबंध में प्रतिनिधि मंडल सोमवार को प्रशासनिक अधिकारियों से बात करेगा. बैठक में पप्पू झा, मो निजाम, चंद्रभूषण झा, बबलू पासवान, मुरारी यादव, संजय राय, राजीव पासवान, मंगल कुरैशी, मुकेश, नजरे आलम आदि चालक मौजूद थे.परिवहन मंत्री व सचिव को भेजा पत्र
मुजफ्फरपुर
.आरटीइ व आरटीआइ एक्टिविस्ट फोरम के संयोजक मो इश्तेयाक ने ऑटो प्रतिबंध के आदेश में सुधार को लेकर परिवहन मंत्री और परिवहन सचिव को पत्र लिखा है. बताया है कि नगर निगम क्षेत्र में ऑटो व इ-रिक्शा के परिचालन में कोई खतरा नहीं है. इसे गली मोहल्लों में आसानी से ले जा सकते हैं. स्कूल की बड़ी गाड़ियां चौक-चौराहे पर ही रुक जाती हैं. सीएनजी ऑटो पैक रहता है. उसमें दोनों ओर दरवाजे होते हैं. शहर में इसकी स्पीड अधिक नहीं रहती है ऐसे में जनहित व ऑटो चालकों की आजीविका को लेकर इस प्रतिबंध को हटाने पर पुनर्विचार करना चाहिये.कंपनियां बनाती हैं स्कूली वाहन, ये हैं सुरक्षित
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स्कूली बच्चों के सुरक्षित परिवहन को लेकर वाहन निर्माता कंपनी मानक के अनुसार चौपहिया छोटे ऑटो, वैन और बड़े वाहनों का निर्माण करती हैं. अधिकांश सीएनजी ऑटो तीन सीटर होती है और ऑटो चालक पीछे की सीट को नियम का उल्लंघन कर आगे बढ़ा लेते हैं. पीछे सामान रखने की जगह में और सीट बना लेते हैं. तीन सीट वाले ऑटो 10 से 12 बच्चों को लेकर चलते हैं. ऑटो व टोटो यात्रियों के परिवहन के लिए है. एमवीआइ राकेश रंजन ने बताया कि स्कूल में चलने वाले वाहनों का मानक सेंट्रल मोटर व्हीकल एक्ट में बना हुआ है, जिसके नियम पर यात्री तीन पहिया ऑटो व इ-रिक्शा फिट नहीं बैठते हैं. स्कूल प्रबंधन मानक के अनुरूप वाहन निर्माता कंपनी द्वारा निर्मित चारपहिया ऑटो व स्कूली वैन का इस्तेमाल कर सकते हैं. यह आराम से गली मोहल्लों में जा सकती हैं. कई शैक्षणिक संस्थान इसका इस्तेमाल भी कर रहे हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है