मुजफ्फरपुर के बदले समस्तीपुर-दरभंगा, सीतामढ़ी-नरकटियागंज रेलखंड को बनाया है नया रूट
मुजफ्फरपुर.
मानव की तस्करी करने वाले गिरोह ने रेलवे की सख्ती के बाद रूट बदल-बदल कर अपना धंधा चलाना शुरू कर दिया है. पहले बरौनी-मुजफ्फरपुर-हाजीपुर रेलखंड सबसे सटीक रास्ता तस्करों के लिए था. अब पुलिस की सख्ती के बाद इस रूट को बदलते हुए समस्तीपुर-दरभंगा-सीतामढ़ी-नरकटियागंज रूट को नया व सुरक्षित रूट बना लिया है. इसे लेकर आरपीएफ और बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) को खुफिया एजेंसियों ने अलर्ट किया है. इसके निशानदेही पर आरपीएफ व बीबीए की सात विभिन्न टीमें अलग-अलग रेलखंड, ट्रेनों और स्टेशनों पर ऑपरेशन शुरू भी कर दिया है. बीबीए की मानें तो उनकी सूचना पर आरपीएफ की मदद से मानव तस्करों से नाबालिग बच्चों को मुक्त कराया जाता है. जनवरी 2024 से लेकर अब तक आरपीएफ की मदद से 30 तस्करों को दबोचा गया है. वहीं, इनसे 91 नाबालिग बच्चों को मुक्त कराकर उनके परिजनों को सौंपा गया है. बीबीए के एक काउंसलर ने बताया कि मानव तस्कर कम मजदूरी देकर काम कराने के लिए नाबालिग को बहला फुसलाकर दूसरे राज्य ले जाते है. इनके परिजन को भी गुमराह करते है. काउंसलर ने बताया कि मानव तस्कर पहले तो वैसे बच्चे खोजते है, जिनके पिता नहीं है और उसके परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो. इसके बाद कम पढ़े लिखे को निशाना बना तस्करी का काम करते है. झारखंड, बंगाल समेत बिहार के कई इलाकों से होते हैं नाबालिगआरपीएफ ने अब तक 91 बच्चों को मुजफ्फरपुर जंक्शन पर कर्मभूमि एक्सप्रेस, यशवंतपुर एक्सप्रेस, कविगुरू समेत आधा दर्जन ट्रेनों से मुक्त कराया है. यह सभी ट्रेनों में काफी भीड़ होती है. तस्कर जनरल बोगी में बच्चों को छिपाकर ले जाते है. बताया गया है कि रेस्क्यू किये गये अधिकतर बच्चे झारखंड, बंगाल के अलावा कटिहार, पूर्णिया, मधेपुरा, अररिया, समस्तीपुर, दरभंगा और मधुबनी के मिले है. खास बात यह है कि इनको ले जाने वाले तस्कर समस्तीपुर, कटिहार और मधेपुरा और अररिया के मिले है. अररिया के कई सगे भाई इस धंधा से जुड़े है. मुजफ्फरपुर जंक्शन पर पकड़े भी गये है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है