वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर बीआरएबीयू समेत प्रदेश भर के विश्वविद्यालयों में सत्र 2023 से 50 प्रतिशत सीटों के लिए ही पीएचडी एडमिशन टेस्ट का आयोजन किया जाएगा. इसको लेकर कुलाधिपति राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर के आदेश से राजभवन के विशेष कार्य पदाधिकारी (न्यायिक) बालेंद्र शुक्ला ने विवि के कुलपति को पत्र भेजा है. कहा है कि यूजीसी व अन्य संबंधित वैधानिक नियामक निकायों की ओर से जारी मानदंडों को ध्यान में रखते हुए केंद्र-राज्य सरकार की ओर से जारी आरक्षण नीति का पालन करते हुए संस्थान की ओर से मानदंडों पर आधारित होगा. प्रत्येक विषय में उपलब्ध रिक्ति में से 50 प्रतिशत सीटें यूजीसी-नेट, सीएसआइआर-नेट-गेट-सीइइडी के लिए आरक्षित होंगी. वहीं शेष 50 प्रतिशत सीटों को प्रत्येक विवि अपने स्तर से पीएचडी एडमिशन टेस्ट के माध्यम से भरेंगे. यदि किसी विषय में नेट-गेट, सीइइटी अहर्ता के छात्र उपलब्ध नहीं हाेते हैं, तो इस श्रेणी के रिक्त सीटों को पीएचडी एडमिशन टेस्ट की मेधा सूची पर आरक्षण रोस्टर का पालन करते हुए भरा जा सकता है. बता दें कि यूजीसी की ओर से पीएचडी के लिए नेट की बाध्यता से संबंधित पत्र जारी होने के बाद से छात्र-छात्राएं संशय में थे. कहा जा रहा था कि अब पीएचडी एडमिशन टेस्ट नहीं होगा, लेकिन राजभवन की ओर से पत्र जारी होने के बाद से स्थिति स्पष्ट हो गयी है. बीआरएबीयू में वर्तमान में 2022 सत्र की प्रवेश परीक्षा ली गयी है. वहीं 2023 सत्र के लिए आवेदन लिये हैं. शीघ्र पीएचडी एडमिशन टेस्ट होगा.
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