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जनजीवन के पीड़क संघर्ष की दास्तान हैं राकेश की कविताएं

जनजीवन के पीड़क संघर्ष की दास्तान हैं राकेश की कविताएं

-महाकवि रामइकबाल सिंह राकेश स्मृति पर्व का आयोजन मुजफ्फरपुर. महाकवि रामइकबाल सिंह राकेश स्मृति समिति के तत्वावधान में आमगोला के शुभानंदी में महाकवि राकेश स्मृति पर्व का आयोजन किया गया. डॉ पूनम सिन्हा ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि उत्तर छायावाद के प्रसिद्ध कवि राम इकबाल सिंह राकेश जितना शास्त्र से जुड़े थे, उतना ही लोक जीवन से भी. जहां उन्होंने मिथकीय तत्त्वों को अपना काव्य उपजीव्य बनाया, वहां उनके काव्य में महाकाव्यात्मक औदात्य दिखता है. उन्होंने गांव, कृषक, मजदूर, पशु पक्षी, खेत-खलिहान व फसलों का वर्णन किया है. वहां संपूर्ण भारतीय गांव का लोक उजागर हो उठा है. विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ संजय पंकज ने कहा कि मानवीय मूल्यों के तेजी से विघटित होते हुए समय में राकेश की कविताएं हमें संवेदनशील बनाती हैं. वे शौर्य, पराक्रम व पुरुषार्थ के आग्रही थे. उनकी रचनाएं भारतीय संस्कृति के वैभवशाली और शाश्वत सत्य को उकेरती है. परंपरा से गहरे जुड़े राकेश प्रगतिशील चेतना से भी आबद्ध हैं. डॉ रामेश्वर द्विवेदी ने कहा कि सौंदर्य बोध, राष्ट्रीयता और खड़ी बोली हिन्दी की मसृणता के अंतिम पूर्ण विराम के बाद हिंदी की जो स्वच्छंदतावादी काव्य धारा प्रगतिशील तत्वों की सजीवता के साथ प्रवाहित हुई, राकेश उस धारा के द्वीप कवि हैं. उन्होंने मिट्टी की सुगंध और जन जीवन के पीड़क संघर्ष को अपने काव्य में प्रतिस्थापित किया है. डॉ ब्रजभूषण मिश्र ने कहा कि महाकवि राकेश केवल छायावादी कवि नहीं, बल्कि लोक साहित्य मर्मज्ञ भी थे. —- मैथिली लोक साहित्य पर राकेश का बड़ा काम उनके लोक साहित्य पर किए गए कार्य के बारे में पूर्वी क्षेत्र के लोक साहित्य के विद्वान पं. गणेश चौबे ने शांति निकेतन के 11वें इंडियन फोकलोर कांग्रेस में बताया था. मैथिली लोक साहित्य पर राकेश ने बहुत श्रम साध्य कार्य किया है. ब्रजभूषण शर्मा ने कहा कि मैंने उनके साथ रहते हुए अपने समय के बड़े-बड़े साहित्यकारों को देखने का अवसर प्राप्त किया है. इस मौके पर डॉ अनु, ब्रजभूषण शर्मा, मधुमंगल ठाकुर, प्रेमभूषण, सुधांशु राज, माला, राकेश सिंह, संतोष पाठक, चैतन्य चेतन, शांतनु ने भी विचार व्यक्त किए. धन्यवाद ज्ञापन डॉ केशव किशोर कनक ने किया.

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