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देश में अमन-खुशहाली और सबकाे तंदुरुस्ती की ईदी दे खुदा

देश में अमन-खुशहाली और सबकाे तंदुरुस्ती की ईदी दे खुदा

शहर की मस्जिदों में ईद की विशेष नमाज और मांगी दुआ

धूमधाम से मनायी ईद, नमाज के लिए मस्जिदों में लगी भीड़

उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर

खुशियों और आपसी मुहब्बत का त्योहार ईद शहर में गुरुवार को धूमधाम से मनाया गया. सुबह से ही ईदगाहों और मस्जिदों में नमाज पढ़ने के लिए लोग उत्साहित थे. विभिन्न मस्जिदों में ईद की नमाज के लिए समयानुसार लोग सुबह छह बजे घरों से निकल गये. ईद की नमाज के लिए सबसे ज्यादा भीड़ बड़ी गोशाला स्थित बड़ी ईदगाह में रही. यहां करीब दस हजार लोगों ने नमाज पढ़ी. इसके अलावा कंपनीबाग स्थित जामा मस्जिद, बारह मीनार मस्जिद व कमरा मुहल्ला स्थित शिया जामा मस्जिद में लोगों की अधिक भीड़ रही.

नये कपड़ों व टोपियाें को पहन कर हर उम्र के लोग नमाज में शामिल हुए. नये कपड़ों में आये बच्चे काफी खुश थे. अपने पिता व अभिभावक के साथ वे नमाज पढ़ने आये थे. सभी ने नमाज में देश की खुशहाली व तरक्की की कामना की. ईद की नमाज के बाद सभी ने एक-दूसरे से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दी. इस मौके पर शहर के कई जनप्रतिनिधि भी लोगों को मुबारकबाद देने पहुंचे. नगर विधायक विजेंद्र चौधरी, कांग्रेस जिलाध्यक्ष अरविंद मुकुल, मदरसा बोर्ड के सदस्य प्रो शब्बीर अहमद सहित अन्य लोगों ने एक-दूसरे को मुबारकबाद दी. नमाज के बाद मीठी सेवइयों का दौर चला. लोगों ने एक-दूजे के घर जाकर मीठी सेवइयां खायी. सुबह से रात तक यह क्रम चलता रहा.

ईद की नमाज से पहले निकला फितरा

ईद की नमाज से पहले लोगों ने जकात और फितरा दिया. मौलाना इश्तेयाक ने बताया कि इसके पीछे मान्यता है कि हजरत मुहम्मद साहब अपना जीवन न्यूनतम चीजों के साथ व्यतीत करना पसंद करते थे. वे अधिक खर्च वाली जीवन शैली के समर्थक नहीं थे. समाज में हमेशा एक वर्ग ऐसा होता है, जिसके सामने आर्थिक चुनौतियां होती हैं. इसकी आप सहायता कर सकते हैं अगर आप फिजूलखर्ची नहीं करें व समाज के कमजोर वर्ग के साथ खड़े हों. ईद की नमाज फितरा दिये बिना अधूरी बतायी गयी है. ईद की नमाज अदा करने से पहले जकात अल-फितरा की एक निर्धारित राशि परिवार के मुख्य परिवार के प्रत्येक सदस्य की ओर से जरूरतमंद लोगों को देनी होती है. इस तरह ईद साल भर अपने कमजोर वर्ग के लोगों की मदद करने केलिए भी प्रोत्साहित करती है.

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