बागमती आंदोलन के हर मोड़ पर चट्टान की तरह खड़े रहे थे रंजीव

जाने-माने नदी विशेषज्ञ, वाटर एक्टिविस्ट और मानवाधिकार कार्यकर्ता रंजीव कुमार की याद में कर्पूरी सभागार में बागमती संघर्ष मोर्चा द्वारा श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया.

By Prabhat Khabar News Desk | June 14, 2024 9:58 PM

बागमती संघर्ष मोर्चा ने किया श्रद्धांजलि सभा का आयोजन प्रतिनिधि, गायघाट जाने-माने नदी विशेषज्ञ, वाटर एक्टिविस्ट और मानवाधिकार कार्यकर्ता रंजीव कुमार की याद में कर्पूरी सभागार में बागमती संघर्ष मोर्चा द्वारा श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. इसमें बागमती संघर्ष मोर्चा के संयोजक जितेंद्र यादव ने कहा कि बागमती आंदोलन के हर मोड़ पर वो चट्टान की तरह खड़े रहे. उनका असमय जाना (तीन जून) बागमती आंदोलन के लिए बड़ी क्षति है. वे एक प्रतिबद्ध सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ता थे, जो केंद्र सरकार की फासीवादी नीतियों के खिलाफ हर मोर्चे पर डटकर मुकाबला कर रहे थे. 1974 के आंदोलन से बदलाव की धारा के साथ जुड़े रहे और जीवनदानी सामाजिक कार्यकर्ता बने रहे. जनता का स्वार्थ और बेहतर समाज का सपना ही उनका आदर्श था. दरभंगा के पोखरा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता नारायण जी चौधरी ने कहा कि आज पूरी दुनिया और हमारा देश भीषण पर्यावरण संकट से गुजर रहा है. जैसी विकट गर्मी का सामना इस बार करना पड़ा है, वैसा तो कभी नहीं हुआ था. यह ग्लोबल वार्मिंग का नतीजा है, जिसका मुकाबला हमें नदी, तालाब व वृक्षों को बचाकर ही करना है. इन आंदोलनों के योद्धा भाई रंजीव हमेशा पथ प्रदर्शक बने रहेंगे. भाकपा माले पोलित ब्यूरो के सदस्य धीरेंद्र झा ने कहा कि बिहार ने एक बड़ा प्रतिबद्ध सामाजिक कार्यकर्ता खो दिया है. उनका जाना बड़ी क्षति है. आज पर्यावरण बचाना समाज का एजेंडा बन गया है, क्योंकि लूट और मुनाफा पर आधारित कॉरपोरेट पूंजीवाद दुनिया में तबाही मचा रही है. साथी रंजीव कॉरपोरेट लूट के खिलाफ लड़ने वाली जनता के नदी विशेषज्ञ थे. बिहार की नदियों के बड़े जानकार का इस दौर में जाना बहुत बड़ी क्षति है. उनके जीवन संघर्ष और मुद्दे को लेकर जारी संघर्ष ही उनकी सच्ची श्रद्धांजलि होगी. वे दरभरंगा जिले के किलाघाट के रहने वाले थे़ मौके पर देवेंद्र ठाकुर, जगरनाथ पासवान, नवल सिंह, दिनेश सहनी आदि ने अपने विचार रखे और उन्हें श्रद्धांजलि दी.

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