Bihar Land Registry: जमीन की खरीद-बिक्री में जमाबंदी की अनिवार्यता खत्म होने के बाद मुजफ्फरपुर सहित तिरहुत प्रमंडल के जिलों में रजिस्ट्री काफी बढ़ गयी है. रजिस्ट्री में बेतहाशा हुई वृद्धि का नतीजा ही है कि बीते दो महीने में जितनी रजिस्ट्री नहीं हुई थी, उससे कई गुना ज्यादा रजिस्ट्री मई महीने के 15 दिनों के अंदर हुई है. इससे दो महीने का विभागीय टारगेट पंद्रह दिनों में ही रजिस्ट्री ऑफिस पूरा कर लिया है. इसमें तिरहुत प्रमंडल के अंतर्गत आने वाले मुजफ्फरपुर जिला पहले नंबर पर है.
मुजफ्फरपुर जिला का टारगेट अप्रैल व मई महीने में मिलाकर 41.37 करोड़ रुपये का था. इसके अनुपात में 41.43 करोड़ रुपये की वसूली विभाग ने किया है. दूसरे नंबर पर पूर्वी चंपारण (मोतिहारी) है. मोतिहारी का दो महीने में मिलाकर 30.69 करोड़ रुपये टारगेट था. इसके अनुपात में 31.15 करोड़ रुपये की वसूली हुई है. तीसरे नंबर पर प्रमंडल का वैशाली जिला है.
वैशाली जिले को अप्रैल व मई महीने को मिलाकर 19.79 करोड़ रुपये वसूली करना था. इसके अनुपात में 20.21 करोड़ रुपये की वसूली किया गया है. सीतामढ़ी का टारगेट 261.51 करोड़ का था, जिसके अनुपात में 20.90 करोड़ रुपये की वसूली हुई है. वहीं, बेतिया का टारगेट 209.90 करोड़ एवं शिवहर का 40.99 करोड़ रुपये का टारगेट था. इसके अनुपात में क्रमश: 20.90 व 3.22 करोड़ रुपये की वसूली हुई है.
भीड़ बढ़ने के कारण ही ऑनलाइन स्लॉट की प्रक्रिया दोबारा हुई शुरू
रजिस्ट्री ऑफिस में भीड़ बढ़ने के कारण ही कोरोना काल की तरह खरीद-बिक्री से पहले आवेदक को ऑनलाइन स्लॉट बुक कराना होगा. सभी जिले में इसको लेकर विभाग से ही संख्या तय कर दिया गया है. जिला ऑफिस के साथ-साथ मुफस्सिल कार्यालय में भी स्लॉट तय किया गया है. जिला ऑफिस में 200-250 के बीच स्लॉट तय है. वहीं, मुफस्सिल कार्यालय का स्लॉट 100-150 तक का है.
70 फीसदी तक कम गयी थी जमीन की रजिस्ट्री
जमीन रजिस्ट्री में होने वाले फर्जीवाड़े को रोकने के लिए राज्य सरकार ने पहली बार 10 अक्टूबर 2019 को नियम लागू किया था. तब इसके खिलाफ कई याचिका हाईकोर्ट में दायर की गयी. कोर्ट ने 15 दिनों के भीतर ही 25 अक्टूबर को सरकार के फैसला पर रोक लगा दिया. तब से चल रही मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने 09 फरवरी 2024 को सरकार के फैसला को सही करार देते हुए इसे लागू करने का आदेश दिया.
इसके बाद सरकार ने 22 फरवरी को पत्र जारी कर इसे लागू किया था. इसके बाद से अब तक रोजाना 30-40 के बीच ही जमीन दस्तावेजों की रजिस्ट्री हो रही थी. जिले में 70 फीसदी तक जमीन की रजिस्ट्री कम हो गयी थी.
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