शोध : मखाना और सांवा के सेवन से कम होता कैंसर व मधुमेह का खतरा
शोध : मखाना और सांवा के सेवन से कम होता कैंसर व मधुमेह का खतरा
कुलपति प्रो.डीसी राय और दो अन्य प्राध्यापकों के शोध में यह बात आयी सामने मखाना और सांवा से बने पोषण बार में पाये गये कई बायोएक्टिव यौगिक मुजफ्फरपुर. मखाना (फॉक्सनट) और टूटे सांवा (बार्नयार्ड) से बने पोषण बार के बायोएक्टिव मेटाबोलाइट्स का विश्लेषण हाई-रिजॉल्यूशन मास स्पेक्ट्रोमेट्री (एचआर-एमएस) का उपयोग करके की गयी. यह शोध बीएचयू के डेयरी विज्ञान और खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर और वर्तमान में बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.दिनेश चंद्र राय और उनकी टीम ने किया है. इसमें काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी के डेयरी विज्ञान और खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ अरविंद कुमार और मिजोरम विश्वविद्यालय आइजोल, मिजोरम के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग के सहायक प्राध्यापक मनीष कुमार सिंह शामिल रहे. इस शोध में मखाना के आटे और टूटे हुए सांवा से बने पोषण बार के लक्षित मेटाबोलॉमिक्स का अध्ययन किया गया है. यह शोध उत्तर बिहार के दरभंगा, मुजफ्फरपुर, मधुबनी, सीतामढ़ी आदि क्षेत्रों में लोकप्रिय मखाना पर केंद्रित है. इसे पोषण बार में इस्तेमाल किया गया है. शोध में पाया गया है कि मखाना और सांवा से बने पोषण बार में कई बायोएक्टिव यौगिक पाए गए हैं. जिनमें कैंसर रोधी, हृदय स्वास्थ्य संवर्धन, इंफ्लेमेटरी विरोधी, मधुमेह कम करने वाले, रोगाणुरोधी आदि गुण होते हैं. यह शोध दर्शाता है कि यह पोषण बार सभी आयु वर्ग के उपभोक्ताओं के लिए एक फंक्शनल स्नैक फूड है. शोधकर्ता टीम में विशाल कुमार, प्रिया ध्यानी और हिमांशु मिश्रा भी शामिल थे. यह शोध प्रतिष्ठित क्यू-1 शोध अंतरराष्ट्रीय पत्रिका फूड केमिस्ट्री: मॉलिक्यूलर साइंसेस में प्रकाशित हुआ है.
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