-गंगा बेसिन समस्या के राष्ट्रीय विमर्श पर वक्ताओं ने रखी बात-नदियों को बचाने के लिए नदी का सर्वेक्षण व सीमांकन जरूरी
मुजफ्फरपुर.
गंगा बेसिन समस्या और समाधान पर चंद्रशेखर भवन में चल रहे तीन दिवसीय राष्ट्रीय विमर्श के दूसरे दिन शुक्रवार को नदियों का भविष्य, समस्या और समाधान पर चर्चा की गयी. अध्यक्षता झारखंड की डॉ अलका सिंह व संचालन भागलपुर के गौतम मल्लाह ने किया. पत्रकार अमरनाथ झा ने नदियों पर बने बांध व फरक्का बराज पर अपनी बातें रखी. प्रो डाॅ योगेंद्र ने गंगा सहित अन्य नदियों की परिस्थितियों पर चर्चा करते हुए कहा कि नदियों के किनारे की सभ्यता, संस्कृति व मानवीय विकास महत्वपूर्ण है. उदय ने गंगा की अविरल धारा के बहाव में होने वाले समस्या को उजागर किया.. राजस्थान के वीरेंद्र सिंह ने नदियों, तलाबों व अन्य जलस्रोतों को अतिक्रमण मुक्त कराने की बात कही. जल श्रमिक संघ के योगेंद्र सहनी ने नदियों में प्रदूषण व मछुआ समाज की आजीविका की समस्या उठायी. गंगा मुक्ति आंदोलन के प्रणेता अनिल प्रकाश ने कहा कि इस चर्चा में यह प्रस्ताव आया कि बिहार सरकार फ्री फिशिंग एक्ट का विधेयक पारित कर कानून बनाएं और नदियों का सर्वेक्षण व सीमांकन कराना सुनिश्चित करें. इस दौरान संतोष कुमार सिद्धार्थ द्वारा लिखित जन नायिका सरला श्रीवास की जीवन यात्रा पुस्तक का लोकार्पण किया गया. संवाद में प्रो हरि नारायण ठाकुर, प्रसून लतांत, रंजीत कुमार मंडल, गौरव कुमार, मकबूल अहमद, चंदेश्वर राम, मो एजाज, कृष्णा प्रसाद, राजा राम सहनी, नरेश कुमार सहनी, पंकज कुमार निषाद, डॉ उमेश, हेमा, सूरज कुमार सहनी, नवज्योति पटेल, जयकरण कुशवाहा, बसंत राय, मधुर मिलन नायक, शाहिद कमाल, आदित्य सुमन, गणेश कुमार, अनिल गुप्ता,अच्युतानंद किशोर नवीन, संजय कुमार सिंह, अशोक भारत, संतोष कुमार, विजय मिश्रा, पूर्णिमा मिश्रा, अशोक गुप्ता, सोनू सरकार,शंभु मोहन प्रसाद ,शीलम झा भारती, रवि भूषण, सुनील कुमार सरला व अनिल अनल ने अपनी बातें रखी. विमर्श के बाद कवि सम्मेलन हुआ, जिसमें अनिल गुप्ता, अंजनी पाठक, उमेश कुमार सहित अन्य ने रचनाएं सुनायी. धन्यवाद ज्ञापन मधुर मिलन नायक ने किया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है