तीसरी सोमवारी पर बाबा गरीबनाथ पर जलाभिषेक के लिए कांवरियों का सैलाब उमड़ पड़ा. रविवार की सुबह से लेकर रात तक शहर में कांवरियों का तांता लगा रहा. गोरौल से रामदयालु तक ऐसा लग रहा था जैसे कांवरियों की पंक्तियां बनी हो. जत्थे में कांवरिये लगातार बाबा नगरी में प्रवेश करते रहे. शहर में पहुंचने पर कांवरियों ने रामदयालु कॉलेज के टेंट सिटी में आश्रय लिया. इसके अलावा शहर में आने वाले कांवरिये विभिन्न धर्मशाला में रुके. रविवार की दोपहर से कांवरिया मार्ग में भीड़ इतनी अधिक हुई कि पैदल चलना मुश्किल था. बाबा की भक्ति में डूबे पुरुष और महिला कांवरिये पीड़ा झेलते हुए भी लगातार आगे बढ़ रहे थे. सरैयागंज से टावर और डीएन हाई स्कूल तक लगे मेले में कांवरियों की काफी भीड़ रही. बच्चों के लिए खिलौने, शृंगार-प्रसाधन की सामग्री सहित प्रसाद के लिए चूड़ा और पेड़ा की जमकर बिक्री हुई. इतना ही नहीं सरैयागंज में लगे गोलगप्पे और फास्ट फूड की दुकानों पर भी लोगों की भीड़ लगी रही. रविवार की दोपहर से देर रात तक बाजार गुलजार रहा. जलाभिषेक कर निकलने वाले कांवरियों ने इन दुकानों से जमकर खरीदारी की.
इस बार सोमवारी में कांवरिये कई तरह के कांवर लेकर बाबा की नगरी में पहुंचे. मोर से सजे कांवर पर रखे दो कलश भक्तों की श्रद्धा का केंद्र बना. एक कांवरिये अपने कांवर में शिव की छोटी सी प्रतिमा लेकर चल रहे थे. एक कांवरिये ने कांवर में इलेक्ट्रॉनिक बल्ब लगा रखा था, जिसे कांवरियों ने काफी पसंद किया. बाबा नगरी में पहुंचते ही सभी कांवरिये उत्साहित थे. धीरे चलने वाले कांवरियों के कदम भी रामदयालु से आगे बढ़ते तेज हो गए. रुक-रुक कर बारिश होने के कारण मौसम भी सुहाना हो गया था. कांवरिये बारिश में भीगते हुए आगे बढ़ रहे थे.
बाबा को जल चढ़ाने के लिए कांवरिये दंड करते हुए आगे बढ़ रहे थे. कई कांवरियों ने मन्नत पूरी होने के बाद पहलेजा से जल उठाया था और दंड काटते हुए पांच-छह दिनों में अपना सफर पूरा किया. स्वयंसेवक ऐसे कांवरियों के लिए रास्ता बनाते हुए उनके आगे का रास्ता बुहार रहे थे और पानी का छिड़काव कर रहे थे. कुछ कांवरियों के आगे चादर बिछाया जा रहा था, जिससे उनके बदन गंदा नहीं हो. ऐसे कांवरियों के प्रति लोगों में श्रद्धा का भाव था और वे उनका पैर छूकर आशीर्वाद ले रहे थे.