सुनिये सरकार! बचा लीजिए 106 साल पुरानी एलएस कॉलेज की वेधशाला व तारामंडल, प्राचार्य ने मंत्री को लिखा पत्र

यूनेस्को की लुप्तप्राय विश्व धरोहर की सूची में शामिल एलएस कॉलेज की वेधशाला के साथ ही तारामंडल पूरी तरह से बर्बाद हो रहा है. इसे देखते हुए कॉलेज के प्राचार्य ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और कला-संस्कृति मंत्री को पत्र लिखा है. पत्र में दोनों धरोहरों के जीर्णोद्धार व विकास के लिए आग्रह किया गया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 4, 2022 5:20 AM

यूनेस्को की लुप्तप्राय विश्व धरोहर की सूची में शामिल एलएस कॉलेज की वेधशाला के साथ ही तारामंडल को भी पुनर्जीवित करने के लिए स्थानीय स्तर पर भी पहल शुरू हो गयी हैं. बुधवार को कॉलेज की ओर से प्राचार्य डॉ ओपी राय ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के मंत्री सुमित कुमार सिंह और कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के मंत्री डॉ आलोक रंजन को पत्र भेजा है. प्राचार्य ने कहा है कि दोनों धरोहरों के जीर्णोद्धार व विकास के लिए कई बार पहले भी आग्रह किया जा चुका है, लेकिन इस दिशा में अब तक कोई भी पहल सरकार के स्तर से नहीं हो सकी है. उन्होंने कहा है कि 1899 में स्थापित लंगट सिंह कॉलेज शहर के मध्य 60 एकड़ में फैला है. 1916 में उत्तर भारत के दूसरे वेधशाला व तारामंडल का निर्माण एलएस कॉलेज में किया गया. 70 के दशक तक इनका शैक्षणिक उपयोग होता था, लेकिन उसके बाद उपयोग का कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है.

विवि ने एग्रीमेंट किया होता तो तीन दशक पहले बन जाती वेधशाला

मुजफ्फरपुर सहित बिहार की ऐतिहासिक धरोहर एलएस कॉलेज की वेधशाला को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने कभी गंभीरता नहीं दिखायी. तीन दशक पहले यदि विश्वविद्यालय प्रशासन एग्रीमेंट के लिए तैयार हो जाता, तो उसी समय वेधशाला क्रियाशील हो जाती. वेधशाला को यूनेस्को की सूची में शामिल कराने में अहम भूमिका निभाने वाले दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रो जेएन सिन्हा ने वेधशाला के उपकरण जर्मनी के बने हैं. तीन दशक पहले जर्मनी संस्था ने पुनर्स्थापित करने पर सहमति दे दी थी, लेकिन शर्त यह थी कि विश्वविद्यालय को एग्रीमेंट करना होगा. उन्होंने खुद इसकी पहल की, लेकिन विश्वविद्यालय से जुड़े अधिकारियों ने रुचि नहीं दिखायी. कुछ लोगों का यहां तक दबाव था कि पहले फंड आ जाए, उसके बाद एग्रीमेंट किया जाएगा.

Next Article

Exit mobile version