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SCADA देगा रेलवे की इलेक्ट्रिक खराबी की रियल टाइम जानकारी, जानिए कैसे करता है काम?

रेलवे में ट्रेन संचालन के दौरान इलेक्ट्रिक फॉल्ट की रियल टाइन जानकारी देने के लिए स्काडा प्राणाली तैयार की गई है. जीसे सोनपुर मंडल में चालू करने की कवायद शुरू हो गई है

ललितांशु मुजफ्फरपुर. रेलवे के इलेक्ट्रिक फॉल्ट की सटीक जानकारी अब स्काडा (SCADA) प्रणाली से मिलेगी. सोनपुर मंडल में स्काडा प्रणाली चालू करने की कवायद शुरू हो गयी है. पूर्व मध्य रेल की ओर से इस सिस्टम को चालू करने के संबंध में दूरसंचार सुविधा के प्रावधान के तहत से टेंडर जारी किया गया है. निविदा के तहत अनुमानित लागत 85,60,282,214 राशि है. वहीं टेंडर प्रक्रिया के पूरी होने के बाद छह माह में काम को पूरा कर देना है.

रेलवे के इंजीनियरों के अनुसार स्काडा (सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एक्विजिशन) सिस्टम ट्रेन संचालन में बिजली आपूर्ति की खामियों की सटीक और त्वरित जानकारी देगा. देश के अन्य जोन में इसका सफल ट्रायल हो चुका है. बता दें कि सेंसर की वजह से ट्रैक तापमान के बारे में भी जानकारी मिलेगी, स्काडा सिस्टम पूरे नेटवर्क में रेल तापमान को ट्रैक कर सकता है, जिससे ट्रैक क्षति या पटरी से उतरने को रोकने में मदद मिलती है.

ऐसे काम करता है, स्काडा

इसके माध्यम से इंटरनेट नेटवर्क को इलेक्ट्रिक ट्रेन संचालित करने वाले ट्रैक्शन पावर कंट्रोल सिस्टम से जोड़ दिया जाता है. मंडल कंट्रोल रूम में बैठे नियंत्रक इसके सिग्नल के आधार पर इंजन को सीधे नियंत्रित कर सकते हैं. बिजली आपूर्ति बंद कर ट्रेन कहीं भी रोक सकते हैं. तार टूटने पर सिस्टम पलक झपकते ही बिजली आपूर्ति बंद कर देगा. साथ ही एक सब स्टेशन से बिजली गुल होने पर दूसरे स्थान से बिजली की आपूर्ति चालू कर देगा. मंडल मुख्यालय पर स्काडा सिस्टम को संचालित करने के लिये मुख्य सर्वर की व्यवस्था होगी. रेलवे स्टेशनों पर स्काडा सिस्टम लगा दिया जाता है, जिसमें मोबाइल का सिम कार्ड लगा होता है.

अभी की व्यवस्था

रेलवे में आपात स्थिति में इलेक्ट्रिक इंजन नियंत्रण के लिये अभी भूमिगत ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछायी जाती है. चिह्नित रेलवे स्टेशन पर लगे नियंत्रण सिस्टम को इसके जरिये जोड़ा जाता है. ओवरहेड इलेक्ट्रिक लाइन के क्षतिग्रस्त होने या दुर्घटना की स्थिति में यह तुरंत कंट्रोल रूम को सिग्नल भेजकर बिजली आपूर्ति को रोक देता है. रेलवे को एक किमी भूमिगत केबल बिछाने में लाखों रुपये खर्च करने पड़ते हैं. साथ ही इसके रखरखाव पर भी एक बड़ा खर्च हर माह आता है.

ट्रेन मॉनिटरिंग में स्काडा के उपयोग

  • क्रू के साथ डिस्पैचर टेलीकॉम
  • सिग्नल के साथ डिस्पैचर टेलीकॉम
  • सिग्नल और स्विचगियर
  • विस्तृत रखरखाव जानकारी
  • पावर जेनरेटर
  • ट्रैक तापमान सेंसर
  • दूरसंचार कक्ष तापमान सेंसर
  • सीसीटीवी वीडियो
  • आपातकालीन टेलीफोन
  • शारीरिक सुरक्षा

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