90 साल की बहनें, भाइयों की कलाई पर बांध रहीं राखी

खराब स्वास्थ्य के बाद भी रक्षाबंधन की तैयारी करती हैं बहनें

By Prabhat Khabar News Desk | August 17, 2024 8:43 PM

उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर

भाई और बहनों के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन की अलग ही महत्ता है. भाई-बहन चाहे किसी भी उम्र के हों, रक्षाबंधन पर भाई की कलाई सूनी नहीं रहती. बहनों का स्नेहिल स्पर्श भाइयों की कलाई पर प्रेम का अहसास कराता रहता है. बहन छोटी उम्र में जिस प्रेम से भाइयों को राखी बांधती थीं, उसी तरह अब भी बांधती है. भाइयों के स्वास्थ्य से लेकर उनकी समृद्धि की कामना बहनें हर साल रक्षाबंधन पर भाइयों को राखी बांध कर करती हैं. बहनें चाहे जिस उम्र की हो, भाई के प्रति उनका प्रेम कम नहीं होता. खराब स्वास्थ्य के कारण बहनें भले चल पाने में असमर्थ हो, लेकिन वह चाहती हैं कि अपने भाई के घर जाकर राखी बांधें. कई बुजुर्ग भाई भी प्रेम के कारण रक्षाबंधन के दिन बहन के घर खींचे चले आते हैं. पहले आज की तरह राखी का बाजार नहीं था तो बहनें अपने हाथ से भाई के लिए मिठाई बनाती थी और भाई का मुंह मीठा कराती थीं. आज भी शहर में ऐसी कई बहनें हैं, जिनकी उम्र करीब 90 साल है, लेकिन आज भी वे अपने भाइयों को उसी प्रेम से राखी बांधती है, जैसे 70 साल पहले बांधा करती थी. रक्षाबंधन के मौके पर यहां ऐसी बहनों के प्रेम और स्नेह को साझा किया जा रहा है.

मायके जाकर भाई को हर साल बांधती हूं राखी

हाजीपुर रोड की बेलाकुंड की रहने वाली 90 वर्षीया दुलारी देवी अब भी अपने छोटे भाई दामोदर ठाकुर को उसी निष्ठा, प्रेम और समर्पण से राखी बांधती हैं, जैसे वह 80 वर्ष पहले बांधा करती थीं. दुलारी देवी हर साल रक्षाबंधन के मौके पर अपने मायके पटोरी जाती हैं और वहां अपने भाई को राखी बांधती हैं. इनके भाई की उम्र भी करीब 78 वर्ष है. उन्हें भी बहन के घर आने का इंतजार रहता है. दुलारी देवी कहती हैं कि शादी से पहले जब वे मायके में रहती थीं तो रक्षाबंधन में घर पर ही पेड़ा बना कर भाई का मुंह मीठा कराती थीं, लेकिन अब यह संभव नहीं होता. इस बार भी वे अपने भाई को राखी बांधने के लिए मायके गयी हैं.

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