Muzaffarpur: 7 दिनों में 7 साल का होगा स्मार्ट सिटी, अभी भी टावर पर गड्ढा खोद रही एजेंसी

मुजफ्फरपुर स्मार्ट सिटी को 7 दिन में 7 साल हो जाएंगे. लेकिन यहां निर्माण एजेंसी अभी भी टावर पर गड्ढा खोद रही है. इतने साल बाद भी लोग यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि घर से बाहर निकलते ही कौन सा रास्ता अपनाएं.

By Anand Shekhar | June 17, 2024 6:20 AM

Muzaffarpur Smart City: आने वाले 7 दिनों में मुजफ्फरपुर स्मार्ट सिटी 7 साल का सफर पूरा कर लेगी. लेकिन अभी भी सरैयागंज टावर चौक पर एजेंसी गड्ढा खोद रही है. घेराबंदी और ऐसी अव्यवस्था है, कि राहगीर बीते सात वर्षों में यह नहीं तय कर पा रहे है, कि उन्हें किस रास्ते से अपने अपने गंतव्य तक पहुंचना है, लंबे समय से हालात यह है कि यदि आप घर से ऑफिस या बाजार, किसी काम से निकले तो चार रास्ता बदलना पड़ता है. उसमें भी जोखिम उठा कर लोग चल पा रहे है.

फिलहाल सरैयागंज से कंपनीबाग रोड, जवाहरलाल रोड, सिकंदरपुर चौक से टावर रोड, सिकंदरपुर स्टेडियम रोड, पंकज मार्केट रोड, स्टेशन रोड कहीं भी चलने की स्थिति नहीं है. एक दिन की नहीं, बल्कि स्मार्ट सिटी के नाम पर बीते करीब तीन वर्षों से सड़क को खोदने और भरने का काम चल रहा है. उदाहरण के तौर पर लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिये वाटर पॉइंट लगाया गया, एक पॉइंट से लोगों को पानी नहीं मिल सका, योजना औरा राशि के बर्बादी की स्थिति एक वाटर पॉइंट से स्पष्ट हो रहा है.

23 जून 2017 को तीसरे चरण में शामिल हुआ था शहर

23 जून 2017 को तीसरे चरण में शहर का स्मार्ट सिटी के लिए चयन किया गया था. इससे पहले दो दौर में शहर पिछड़ गया था. चयन के बाद शहर के लोगों को स्मार्ट सिटी को लेकर काफी उम्मीदें हो गयी. लोगों को लगा कि एक से दो वर्षों में शहर पूरी तरह से बदल जायेगा. स्मार्ट शहर में लोगों की लाइफ स्टाइल भी पूरी तरह से बदल जायेगी. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, चयन के बाद बाद कंसल्टेंट चयन के खेल में ही दो वर्ष बीत गया. कुल मिला कर वर्ष 2021 से विधिवत काम शुरू हुआ. हालात यह है, कि अभी तक स्मार्ट सिटी की योजना हाफ रही है.

600 करोड़ खर्च फिर भी दिन-रात धूल फांक रहे लोग

स्मार्ट सिटी के एक रिपोर्ट के तहत 966 करोड़ की लागत से शहर में 19 परियोजनाओं को शुरू किया गया. जिसमें अभी तक 10 परियोजनाओं को पूरा करने का दावा किया गया है. वहीं 5 परियोजनाओं पर काम बाकी है. फिर भी लोग सड़कों पर सुबह से लेकर रात तक धूल फांक रहे है. आंकड़ों के तहत 600 करोड़ के करीब स्मार्ट सिटी की योजना पर राशि खर्च हो चुकी है. लेकिन शहर में आम लोगों की समस्या पुरानी जैसी ही है. इतनी राशि खर्च होने के बाद भी लोगों को कोई सुविधा नहीं हुई है.

स्मार्ट सिटी के काम से घुटने लगा दम

शहरी क्षेत्र की हवा पूरी तरह से जहरीली हो गयी है. लोगों का दम घुट रहा है. अखाड़ाघाट रोड हो या कंपनीबाग, सभी जगहों पर दिन के समय धूल के कारण कोहरा जैसी स्थिति बन जाती है. दूसरी ओर निर्माण के समय लोगों की सुरक्षा को लेकर किसी भी नॉर्म को पूरा नहीं किया जा रहा है. बगैर सूचना के कही भी किसी भी समय सड़क को बंद कर जेसीबी से सड़क खोदने का काम चालू हो जाता है. इसको लेकर हर दिन लोग गिर कर घायल हो रहे है. एनजीटी के नियमों की पूरी तरह से खिल्ली उड़ायी जाती है.

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