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उपयोग से पहले ही स्मार्ट सिटी का बायो टॉयलेट बेकार, पुराना मोबाइल टॉयलेट ही बनेगा सहारा

उपयोग से पहले ही स्मार्ट सिटी का बायो टॉयलेट बेकार, पुराना मोबाइल टॉयलेट ही बनेगा सहारा

– सशक्त स्थायी समिति की मीटिंग में 19 महीनों की कार्यकाल में स्वीकृत प्रस्तावों पर काम नहीं होने से दिखी नाराजगी – पिंक टायलेट नगर सरकार की थी पहली प्राथमिकता में, आज तक व्यवस्था नहीं कर सका नगर निगम मुजफ्फरपुर. शहरी क्षेत्र में स्मार्ट सिटी से लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये खर्च कर पब्लिक सुविधा की खातिर 25 स्थानों पर लगे बायो टॉयलेट व वाटर एटीएम बेकार हो गया है. इससे पब्लिक को कोई फायदा नहीं है. एक तरह से कहे तो स्मार्ट सिटी कंपनी ने सरकारी राशि का दुरुपयोग कर दिया है. शुक्रवार को सशक्त स्थायी समिति की मीटिंग के दौरान महापौर निर्मला साहू सहित अन्य सदस्यों ने इसको लेकर जमकर नाराजगी जाहिर की. प्रशासन से पूछा कि 25 में से कितने शौचालय व वाटर एटीएम चालू अवस्था में है. 10 के चालू होने की जानकारी दी गयी. जब महापौर ने कहा कि वे खुद चालू टॉयलेट का निरीक्षण कर देखना चाहती हैं. तब अधिकारियों ने चुप्पी साध ली. इसके बाद महापौर ने निगम के पास चार सीट वाला जो मोबाइल टॉयलेट उपलब्ध है, उसकी मरम्मती करा अविलंब शहर में जगह-जगह लगाने का आदेश दिया है. ताकि, दूर-दराज से शहर में मार्केटिंग सहित विभिन्न कार्यों से पहुंचने वाली महिलाओं को सुविधा मिल सके. मीटिंग के दौरान बीते 19 महीनों में निगम सरकार से स्वीकृत प्रस्ताव, जिसपर नगर निगम अब तक कोई काम नहीं कर सका. एक-एक लंबित प्रस्ताव पर विस्तार से चर्चा हुई. हालांकि, अधिकतर एजेंडा पर गोल मटोल प्रशासनिक जवाब के कारण मीटिंग के दौरान मेयर सहित अन्य सदस्य उखड़े-उखड़े नजर आये. महापौर सहित सदस्यों ने बताया कि निगम सरकार ने जिन-जिन प्रस्ताव को पास कर निगम के प्रशासनिक अधिकारियों को अनुपालन करने व कराने की जिम्मेदारी सौंपी. अगर ईमानदारी से काम हुआ रहता, तो शहर की जो दशा अभी बनी हुई है. वह नहीं रहती. निगम की सरकारी जमीन पर अतिक्रमण है. अतिक्रमण के कारण सड़क सिकुड़ गयी है. बेतरतीब तरीके से छोटे से बड़े बिल्डिंग का निर्माण हो रहा है. निगम में अब कर्मचारी व पदाधिकारी की कमी नहीं रह गयी है. उन्हें सुख-सुविधा भी नगर निगम की तरफ से मिल रहा है. लेकिन, फील्ड में काम नहीं दिखता है.सभी के सभी ऑफिस में बैठकर ही काम करना पसंद करते हैं. मेयर ने पूछा-गुणवत्ता गड़बड़ सड़क व नाला को कैसे मिल गया क्लीन चिट मीटिंग के दौरान लगभग सभी एजेंडों पर मेयर व सदस्यों की नाराजगी रही. लेकिन, तीन-चार महीने पहले मेयर व नगर आयुक्त की संयुक्त जांच में जिन-जिन सड़क व नाला निर्माण की गुणवत्ता में गड़बड़ी मिली थी. भुगतान पर रोक लगायी गयी थी. उन सभी सड़क व नाला निर्माण से जुड़ी योजनाओं को अधिकारी व इंजीनियरों की टीम सही बताते हुए भुगतान कर दिया. महापौर ने कहा कि यह कैसे संभव है कि जब सड़क की खुदाई करने पर गुणवत्ता में गड़बड़ी मिली. फिर, लैब रिपोर्ट में सही कैसे हो गया. इसमें गोला रोड, कालीबाड़ी रोड के अलावा गोला बांध रोड कल्वर्ट का निर्माण आदि शामिल है. पुराने प्रस्ताव पर लिये गये महत्वपूर्ण फैसले – एजेंसी से बहाल कर्मियों की दक्षता जांच करेंगे उप नगर आयुक्त. – मलिन बस्तियों के जर्जर भवन मजिस्ट्रेट व पुलिस बल की मदद से खाली होगा. – नगर निगम से संबंधित खबर अब देंगे उप नगर आयुक्त, पीआरओ हुए नियुक्त. – कचरा प्रबंधन को ठीक करने के साथ जैविक खाद की बिक्री के लिए प्रचार-प्रसार करने की मंजूरी. – बेतरतीब तरीके से हो रहे वैध व अवैध निर्माण पर जांच कर कार्रवाई करने का आदेश. – निगम का पेट्रोल पंप व सीएनजी स्टेशन खोलने के लिए आईओसीएल से पत्राचार करने का आदेश पहले मेयर समीर कुमार की जयंती व पुण्यतिथि मनायेगा निगम शहर के पहले मेयर समीर कुमार की नगर निगम कैंपस में लगे प्रतिमा के समक्ष सरकारी कार्यक्रम के तहत जयंती व पुण्यतिथि नगर निगम मनायेगा. हर साल जयंती व पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अतिथियों को भी नगर निगम की आमंत्रित करेगा. पूर्व मेयर स्व समीर कुमार की पत्नी वर्षा रानी की तरफ से दिये गये पत्र के बाद सशक्त स्थायी समिति ने इसकी मंजूरी प्रदान कर दी है.

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