उर्वरक लाइसेंस के प्रशिक्षण में दी गयी बेहतर खेती की जानकारी प्रतिनिधि, सरैया कृषि विज्ञान केंद्र, सरैया में उर्वरक लाइसेंस के लिए चल रहे 15 दिवसीय प्रशिक्षण में मंगलवार को भाग लेने आरएयू पूसा के कृषि यंत्र विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सुभाष चन्द्र पहुंचे़ उन्होंने परिसर में लगायी गयी धान की फसल और यंत्रों का निरीक्षण किया. साथ ही केवीके के प्रधान वैज्ञानिक डॉ अनिल कुमार सिंह तथा डॉ रजनीश कुमार सिंह से केवीके सरैया में उपलब्ध मशीनों की जानकारी ली और आवश्यक सुझाव भी दिये. डॉ चंद्रा ने बताया कि मैनुअल सीडिंग मशीन से धान और गेहूं की बुआई कर किसान अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. किसान मैनुअल सीडिंग मशीन को ट्रैक्टर के पीछे लगाकर भी धान और गेहूं की बुआई कर सकते हैं. इस मशीन की खासियत यह है कि किसान को खेत में बीज गिरने की मात्रा का मशीन में सेटिंग नहीं करना होगा. बीज की बुआई के 24 घंटे बाद खेत में हल्की सिंचाई कर खेतों में नमी बनाये रखना होगा. उसके 15 दिन बाद मोटर चालित खर-पतवार नाशक मशीन की सहायता से दोनों पंक्तियों के बीच के खर-पतवार को हटा लेना है. उसके बाद सिंचाई कर उर्वरक देकर छोड़ देना है. अन्य विधि से की गयी धान-गेहूं की खेती की तुलना में इस विधि से 25 प्रतिशत ज्यादा उपज मिलेगी. साथ ही कहा कि वर्तमान में छोटे किसानों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. खेती की अंग्रेजी हमलोग AGRICULTURE जानते हैं. लेकिन अब किसानों को AGREE CULTURE यानी मिल-जुलकर खेती करने पर ध्यान देना होगा, ताकि उनका सर्वांगीण विकास हो सके.
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