:: सदर अस्पताल के ओपीडी में हर दिन 130-150 मरीज इलाज कराने आ रहे वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर शहरी क्षेत्र में स्मार्ट सिटी के तहत शहर की सड़कों को खोद दिया गया है. प्रोजेक्ट काे पूरा करने के लिए काफी जोरशोर से निर्माण कार्य चल रहा है. अब बारिश का मौसम भी शुरू होने वाला है. ऐसे में गड्ढाें में हिचकाेले खाने से लोगों की रीढ़ की हड्डियां प्रभावित हाे रही है. यदि लगातार कुछ दिनाें तक ऐसी परिस्थिति बनी रही है ताे आप न्यूराे की बीमारी से ग्रसित हाे सकते हैं. सदर अस्पताल के हड्डी रोग ओपीडी में मरीजों की संख्या अचानक बढ़ गयी है. पहले जहां 40-50 मरीज ओपीडी में आते थे. वहीं अभी हर दिन 130-150 मरीज आ रहे हैं. इनमें से अधिक मरीज रीढ़ की हड्डियां और घुटनों की हड्डियाें में परेशानी बता रहे हैं. हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ ज्ञानेंद्रू शेखर ने बताया कि गड्डाें के हिचकाेले से बचना चाहिए. वहीं जलजमाव से फिसलन की स्थितियां भी बन गयी है. इसमें फिसलने से भी बचना चाहिए. गड्ढो के कारण गर्दन दर्द, हाथ, कमर और पैरों की नसों से संबंधित बीमारियां बहुत हो रही है. उन्होंने बताया कि निर्माण के लिए खाेदे गये सड़कों पर गड्ढों के ऊपर से जब हम तेजी से बाइक, कार या अन्य वाहनों से गुजरते हैं. फिर फिसलन की वजह से जब हम गिरते हैं, तब हमारे शरीर में झटके लगते हैं. यह झटका इतना तेज़ होता है कि तुरंत हमारे मांसपेशियों में खिचाव, दर्द, झुनझुनाहट या फिर मांसपेशियों में ऐंठन होने लगता है. इसके कुछ दिनाें बाद इस तरह की समस्याएं शुरू हाे जाती है. कहा कि यह दर्द कोई सामान्य दर्द नहीं होता है, बल्कि शरीर की हड्डी से संबंधित बीमारियों के लक्षण हैं. बताया कि गर्दन में झटके लगने से गर्दन के डिस्क बाहर आ जाते हैं, जो की सर्वाइकल दर्द या गर्दन के दर्द का कारण बनता है. प्रत्येक व्यक्ति काे इन गड्डाें के झटकों से बचना चाहिए. अगर गर्दन में दर्द, हाथों में झुनझुनाहट, कमर में दर्द या पैरों में दिक्कतें हो तो गर्दन के बेल्ट, कमर के बेल्ट जैसी मेडिकल किट का उपयोग करना चाहिए.
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