परिणाम के डेढ़ वर्ष बाद भी विद्यार्थियों को अंकपत्र का इंतजार

Students waiting for mark sheet

By Prabhat Khabar News Desk | January 22, 2025 8:32 PM

:: पेंडिंग परिणाम में सुधार होने के बाद भी नहीं मिल रहा है अंकपत्र

:: शिकायत के बाद भी कॉलेज से विवि तक का चक्कर काट रहे छात्र

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वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर

बीआरए बिहार विश्वविद्यालय की ओर से डेढ़ वर्ष पूर्व परिणाम जारी करने के बाद अंकपत्र कॉलेजों को नहीं भेजा गया है. इस कारण स्टूडेंट्स को कॉलेज से लेकर विश्वविद्यालय तक का चक्कर लगाना पड़ रहा है. स्नातक के द्वितीय वर्ष का परिणाम पिछले वर्ष जारी किया गया था. इसके बाद तृतीय वर्ष का भी परिणाम आ गया, लेकिन अबतक विद्यार्थियों को द्वितीय वर्ष का अंकपत्र नहीं मिला है. प्रतिदिन दर्जनों की संख्या में छात्र-छात्राएं विश्वविद्यालय में अंकपत्र के लिए पहुंच रहे हैं. दो दिन पूर्व छात्र संवाद में भी विद्यार्थियों ने इसकी शिकायत की थी. अंकपत्र नहीं मिलने का कारण भी स्पष्ट नहीं हो रहा है. कई छात्र तो कॉलेज और विवि के बीच समन्वय में कमी के कारण पिस रहे हैं. शिकायत करने पहुंचे कई छात्रों को विश्वविद्यालय की ओर से कहा गया कि उनका अंकपत्र कॉलेज में भेज दिया गया है, लेकिन कॉलेज कह रहे कि अंकपत्र अबतक आया ही नहीं है.

पेंडिंग सुधर गया लेकिन नहीं मिला अंकपत्र

दूसरी ओर बड़ी संख्या में वैसे स्टूडेंट्स भी परेशान हैं जिनका परिणाम पूर्व में पेंडिंग था. आवेदन देने के बाद परिणाम तो ठीक हो गया, लेकिन अंकपत्र अबतक नहीं मिला. एलएस कॉलेज से उत्तीर्ण हुई छात्रा सुधा कुमारी का कहना है कि 2021-24 के द्वितीय वर्ष का परिणाम जारी हुए एक वर्ष से अधिक समय बीत गया, लेकिन अबतक अंकपत्र का इंतजार है. छात्र पीयूष कुमार बताते हैं कि बेतिया से अंकपत्र के लिए दाे दिन विश्वविद्यालय आ चुके हैं. परिणाम पूर्व में पेंडिंग था. बाद में इसे ठीक किया गया. अंकपत्र की जरूरत है, लेकिन कॉलेज से विश्वविद्यालय भेजा जा रहा है और विवि आने पर कहा जा रहा कि अंकपत्र भेज दिया गया है.

शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं

कई छात्र-छात्राओं ने डिग्री कॉलेजों की ओर से अंकपत्र के लिए दौड़ाये जाने की शिकायत की गयी. विवि के रिकॉर्ड में दिखाया गया कि अंकपत्र कॉलेज को भेजा जा चुका है, लेकिन वहां से लौटाया जा रहा है. छात्रों की ओर से कहा गया कि कॉलेजों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है. इस कारण उन्हें परेशान किया जा रहा है. कई कर्मचारी अंकपत्र लेकर घर पर रख लेते हैं. काफी परेशान करने के बाद उन्हें अंकपत्र देते हैं.

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