गीता का अध्ययन अवसाद व आत्महत्या जैसी प्रवृत्ति को रोकने में लाभकारी : डॉ ममता रानी

गीता का अध्ययन अवसाद व आत्महत्या जैसी प्रवृत्ति को रोकने में लाभकारी : डॉ ममता रानी

By Prabhat Khabar News Desk | November 29, 2024 1:34 AM

मुजफ्फरपुर.

रामवृक्ष बेनीपुरी महिला महाविद्यालय में गीता प्राकट्य दिवस पर 5161वां गीता जयंती महोत्सव आयोजित किया गया. स्वामी गोविन्द देव गिरी जी महाराज की ओर से संचालित गीता परिवार व रामवृक्ष बेनीपुरी महिला महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में यह आयोजन हुआ. नयी शिक्षा नीति-2020 के तहत भारतीय ज्ञान परंपरा के मुख्य स्रोत श्रीमद्भागवत गीता के उपदेशों से छात्राओं को अवगत कराने, सनातन ज्ञान परंपरा के प्रति छात्राओं में गौरव का भाव संचारित करने के उद्देश्य से यह आयोजन किया गया. उद्घाटन अध्यक्ष सह प्राचार्य प्रो ममता रानी ने की.

धर्म ग्रन्थ से ज्यादा जीवन जीने की कला का विज्ञान

उन्होंने भारत की सनातन ज्ञान परम्परा में श्रीमद्भागवत गीता के योगदान को अमूल्य और अकाट्य बताया. बताया कि गीता कर्म का विज्ञान है. यह धर्म ग्रन्थ से ज्यादा जीवन जीने की कला का विज्ञान है. इसका अनुसरण करके ही जीवन की समस्याओं का समाधान पाया जा सकता है. कार्यक्रम का संचालन करते हुए डाॅ रेणु बाला ने बताया कि शैक्षणिक संस्थाओं में तर्क और वैज्ञानिकता के साथ-साथ शास्त्र व गुरु के प्रति श्रद्धा की भावना के समावेश पर भी बल देना चाहिए.

भागवत गीता के आदर्शों के प्रति श्रद्धा निवेदित की

तभी ज्ञान अपने चरमोत्कर्ष को प्राप्त कर सकता है. छात्रों में अवसाद व आत्महत्या जैसी प्रवृत्ति को रोकने में गीता का अध्ययन लाभकारी सिद्ध हो सकता है. डाॅ मंजुल श्री, डाॅ अनिमा ने गीता का संपूर्ण परायण कर गीता संदेशों को लोगों तक प्रसारित किया. मौके पर शहर के सभी गीता प्रेमी, महाविद्यालय के शिक्षक एवं कर्मचारी उपस्थित रहे. 100 से अधिक छात्राओं नें इस कार्यक्रम मे शामिल होकर भागवत गीता के आदर्शों के प्रति अपनी श्रद्धा निवेदित की.

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