एइएस के बाद दिव्यांगता के खतरे को परख रही टीम

एइएस के बाद दिव्यांगता के खतरे को परख रही टीम

By Prabhat Khabar News Desk | July 21, 2024 1:58 AM

-आइजीएमएस व एम्स की टीम पीड़ित बच्चों के परिजन से फीडबैक ले रही मुजफ्फरपुर. एइएस से स्वस्थ हुए बच्चों में दिव्यांगता के खतरों की जांच आइजीएमएस व एम्स पटना की टीम कर रही है. इसके लिए तीन सदस्यीय टीम मुजफ्फरपुर सहित पूरे राज्य में काम कर रही है. टीम स्वस्थ हुए बच्चों के परिजनों को फोन कर जानकारी ले रही है. इसके अलावा प्रभावित गांवों में बच्चों के कुपोषण पर भी टीम शोध कर रही है. हालांकि अभी तक दिव्यांगता का एक भी केस नहीं मिला है. फिलहाल ऐसे मरीज की जांच की जा रही है कि जिसे दिव्यांगता एइएस के बाद तो नहीं हुई है. एइएस से पीड़ित अगर कोई बच्चा कुपोषित है तो उसे पोषण पुनर्वास केंद्र भेजने का फैसला लिया गया है. — पीड़ित बच्चों के परिवारों का सर्वे कर रही टीम आइजीएमएस व पटना एम्स की टीम एइएस पीड़ित परिवारों का सर्वे कर रही है. टीम देख रही है कि जो बच्चे बीमार पड़े हैं, उनके परिवार की आर्थिक स्थिति कैसी है? बच्चे के ठीक होने के बाद भी उसका फॉलोअप किया जा रहा है. ऐसा होने पर सरकार को भी रिपोर्ट भेजी जायेगी. जांच टीम के अनुसार लोगों में अब भी एइएस के प्रति जागरूकता की कमी है. कई लोग बीमारी होने के बाद भी विशेषज्ञ के पास बच्चों को नहीं जा रहे हैं. सरकारी अस्पतालों में सुविधा होने के बाद भी लोग संसाधन विहीन नर्सिंग होम में लेकर चले जाते हैं. इससे उनका केस बिगड़ जा रहा है. आशा कार्यकर्ताओं को अभी और भी जागरूकता फैलाने की जरूरत है ताकि चमकी के लक्षण होने पर लोग सीधे मेडिकल कॉलेज या पीएचसी लेकर पहुंचें. —- मीनापुर में भी दो बच्चे हो चुके हैं दिव्यांग एइएस से मीनापुर के मोरसंड गांव में दो बच्चे दिव्यांग हो चुके हैं. वर्ष 2019 में गांव के छह बच्चों को एइएस हुआ था. इनमें दो बच्चों की मौत हो गई थी और दो बच्चे दिव्यांग हो गए. एक बच्ची मानसिक रूप से दिव्यांग हो गई तो एक बच्चे की आंखों की रोशनी ही चली गई.

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