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प्यारे नबी का प्यारा नवासा, मारे गया राहे खुदा में….

प्यारे नबी का प्यारा नवासा, मारे गया राहे खुदा में....

-दस मुहर्रम पर कमरा मुहल्ला से निकला मातमी जुलूस -कई जगहों से निकला अलम, हाय हुसैन से गूंजा इलाका -शिया समुदाय ने किया ब्लेड व जंजीर से मातम -तीखी धूप में भी इमाम हुसैन की याद में बढ़ता रहा जत्था मुजफ्फरपुर. प्यारे नबी का प्यारा नवासा, मिल्लत का सैदा, हक का शहनाशा, प्यारे नबी का प्यारा नवासा, दो दिन का भूखा, दो दिन का प्यासा, मारा गया है राहे खुदा में. यह मखूसस नोहा इमाम हुसैन की याद में थे. इमाम हुसैन के गम में डूबे लोग या हुसैन, हाय हुसैन की सदाओं के साथ मातम करते हुए चल रहे थे. मौका था, दस मुहर्रम पर बुधवार को कमरा मुहल्ला से निकले मातमी जुलूस का. यहां से बड़ी संख्या में शिया समुदाय के लोग ब्लेड व जंजीर से मातम करते हुए आगे बढ़ रहे थे्. सभी के कपड़े खून से लाल हो गये थे, लेकिन उनका मातम चलता रहा. मोहल्ला कमरा के नवाब मोहम्मद तकी खां वक्फ स्टेट से कदीमी जुलूस निकला. जिसमें बूढ़े, बच्चे, जवान या हुसैन या हुसैन की सदाएं लगाते हुए नोहा व मातम करते हुए चल रहे थे. यह जुलूस कमरा मोहल्ला से बनारस बैंक चौक, गोला रोड, पंकज मार्केट, सरैयागंज, कंपनी बाग होते हुए बड़ी कर्बला पहुंचे, जहां पर आजादारों ने तलवार से भी मातम किया व करबला के शहीदों के को खून का पुरसा पेश किया. नोहाखानी करते हुए जब लोगों ने कूफियों ने करबला में बुला के, हाय मेरे सैयद को मारा, दिया पानी ने मेहमां बुला के, हाय मेरे सैयद को मारा, यह नोहा पढ़ा तो लोगों की आंखें नम हो गयीं. —– काले लिबास पहनकर लोगों ने जताया शोक मातमी जुलूस में बड़ी तादाद में लोगों ने काला लिबास पहन कर अपने शोक का इजहार किया. वहीं यौमे आशूरा को ब्रह्मपुरा में भी मातमी जुलूस निकला, जिसमें बड़ी तादाद में शमिल आजादारों ने नोहा मातम किया. भगवानपुर का मातमी जुलूस भी बीबीगंज होते हुए ब्रह्मपुरा पहुंचा जहां बरहमपुरा के मीर हसन वक्फ स्टेट मातमी जुलूस निकाला गया. गांव के आजादारों ने अलम व ताजिया के साथ इस तपती हुई धूप में या हुसैन या हुसैन के नारे लगाते हुए मातम किया. मोहम्मदपुर मुबारक, पैगंबरपुर कोल्हुआ, चैनपुर, भीकनपुर, खेमाईपट्टी से भी अलम व ताजिया का जुलूस निकाला गया्. कमरा मुहल्ला के अलावा दाउदपुर, हसन चक बंगरा, मेहदी हसन चौक पर ब्लेड और जंजीर का मातम देख अन्य लोंगों की आंखों में आंसू आ गये. दस मुहर्रम पर इमाम के गम शिया समुदाय के सैकड़ों लोगों ने यौम-ए-आशुरा का फूल लेकर ब्रह्मपुरा स्थित मीर हसन वक्फ स्टेट, बड़ा इमामबाड़ा पहुंचे. गम में डूबे लोग अलम व ताबूत को देखते हुए मातम करते रहे. दोपहर में कमरा मुहल्ला के बड़ा इमामबाड़ा से एक मौन जुलूस गंडक नदी घाट के लिए रवाना हुआ, जहां पर ताजिया और सेहरा दफन किया गया. —- कमरा मुहल्ला इमामबाड़ा में हुयी शाम-ए-गरीबां की मजलिस कमरा मुहल्ला स्थित इमामबाड़ा में शाम में शाम-ए-गरीबां की मजलिस हुई. इसे बयान फरमाते हुये सैयद मो बाकर ने यौमे आशुरा की घटना पर रौशनी डाली और कहा कि दस मुहर्रम सन 60 हिजरी को पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे ईमाम हुसैन और उनके 72 साथियों को तीन दिन का भूखा और प्यासा कत्ल किया गया. इस घटना में यजीदी लश्कर ने एक छह माह के प्यासे बच्चे को तीर का निशाना बनाया, जालिमों ने 6 महीने के अली असगर को भी नहीं छोड़ा़. उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन को शहीद करने के बाद उनके शव पर घोड़े दौड़ाए, उनके सिर को जिस्म में जुदा कर के नैज़े पर बुलंद किया और इमाम के खेमे में आग लगायी गयी. बीबियों के सिरों से चादर छीन कर बेपर्दा कैदी बनाया गया और बाजारों दरबारों में घुमाया गया. इसी जुल्म की याद में शिया समुदाय गम का इज़हार कर मातम करते हैं और यजीदियों के इस करतूत को दुनिया के सामने ज़ाहिर करते हैं. —– हजरत इमाम ने सच्चाई की राह पर दी कुर्बानी हजरत इमाम हुसैन और उनकी साथियों की शहादत की याद में ऑल इंडिया अंजुमन तबलीगे इमामे हुसैन की जानिब से जलील हुसैन हाउस पर मजलिस हुई, जिसे बयान फरमाते हुए सदर अली अब्बास आब्दी ने कहा कि हजरत इमाम हुसैन ने कर्बला के मैदान अपने 72 साथियों के साथ सच्चाई की राह पर कुर्बानी पेश की. आज पूरी दुनिया में हर मजबूर मिल्लत के लोग इमामे हुसैन का गम बना रहे हैं. पूरी कायनात में या हुसैन या हुसैन या हुसैन की सदा गूंज रही है और कयामत तक यह आवाज सुनाई देगी. इसके बाद सिपाहपुर में ताजिया का जुलूस भी निकाला गया. बड़ी कर्बला पर देर रात तक अखाड़ा सुन्नी समुदाय के लोगों ने मुहर्रम पर विभिन्न मुहल्लों से देर रात तक जुलूस निकाल कर अखाड़ा खेला. कमरा मुहल्ला, मझौलिया, माड़ीपुर, सादपुरा, रामबाग चौरी सहित कई मुहल्लों की कमेटियों ने ताजिये का अखाड़ा निकाला. लोगों ने तलवारबाजी, भालेबाजी सहित परंपरागत हथियारों का खेल प्रस्तुत किया. इमामगंज रोड में काफी देर तक करतब का दौर चला. रात में कर्बला के पास विभिन्न मुहल्ले की कमेटियों ने अपने अखाड़े की टीम के साथ प्रदर्शन किया.

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