=शहर में पहुंच रही चीनी लहसुन की खेप, खरीदारी में बरतें सावधानी
मुजफ्फरपुर.
धंधेबाजों ने नेपाल के रास्ते चीन के लहसुन की तस्करी तेज कर दी है. प्रतिबंध के बावजूद बड़ी मात्रा में यह लहसुन शहर के बाजार में पहुंच रहा है. पहचान नहीं होने के कारण अधिकतर उपभोक्ता चीनी लहसुन की खरीदारी भी कर ले रहे हैं. मसाला मंडी की मानें तो जिले में रोज करीब 900 टन लहसुन की खपत होती है. जिसमें करीब 20 फीसदी के बाजार पर चीनी लहसुन का कब्जा है. सरकार ने वर्ष 2014 से ही चीनी लहसुन पर प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन नेपाल के रास्ते बड़ी खेप में यह बाजार तक पहुंच रहा है. दो दिन पूर्व रक्सौल से आने वाली एक ट्रेन से करीब एक हजार किलो चीनी लहसुन कस्टम ने पकड़ा था. इसे भेजने वालों की पहचान की गयी थी. हालांकि छोटी और बड़ी गाड़ियों से चीनी लहसुन शहर के बाजार में आ रहा है. इस लहसुन की तस्करी का सबसे बड़ा कारण है कि यह देसी लहसुन से काफी सस्ता है और इसे अच्छे मार्जिन पर बेचकर अच्छा खासा मुनाफा कमाया जा सकता है, लेकिन यह लोगों की सेहत के साथ बड़ा खिलवाड़ है. डॉक्टरों का कहना है कि चीनी लहसुन के प्रोसेस के कारण यह स्वास्थ्य के लिए अहितकर है.चीनी लहसुन की ऐसे करें पहचान
चीन दुनिया में लहसुन का सबसे बड़ा उत्पादक है. वहां इसे उगाने में बहुत ज्यादा केमिकल और कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जाता है. यह सेहत के लिए खतरनाक है. इसके अलावा उसमें फंगस मिलने की भी आशंका होती है. इसी वजह से केंद्र सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगा रखा है. बावजूद उसकी तस्करी हो रही है. दुकानदार बताते हैं कि चीनी लहसुन को पहचानना बहुत आसान है. उसका रंग, आकार व उसकी गंध देसी लहसुन से अलग होती है. चीनी लहसुन आम तौर पर देसी लहसुन के मुकाबले छोटे होते हैं. वह हल्के सफेद और हल्के गुलाबी रंगत लिए हुए होते हैं. दूसरी तरफ देसी लहसुन साइज में बड़े होते हैं और उनका रंग सफेद या फिर क्रीम कलर का होता है. दोनों की गंध में भी फर्क है. देसी लहसुन की गंध तेज होती है,जबकि चाइनीज लहसुन की गंध हल्की होती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है