अनुज शर्मा, मुजफ्फरपुर. बिहार का मधुबनी जिला थर्ड जेंडर वोटरों के मामले में राज्य का दूसरा सबसे बड़ा जिला है. बीते साल तक यह पहले नंबर पर था. अब पटना के बाद यहां सबसे अधिक खास वोटर रहते हैं. राज्य में सबसे अधिक थर्ड जेंडर वोटर वाली विधानसभा सीट मधुबनी जिले में ही है. भारत निर्वाचन आयोग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, बिहार में 2023 के मुकाबले 2024 में थर्ड जेंडर वर्ग के मतदाताओं की संख्या में उल्लेखनीय गिरावट हुई है. पिछले साल की तुलना में 5.29 % मतदाता घट गये हैं. मधुबनी में कुल नौ वोट कम हुए हैं. बिहार में 2023 में थर्ड जेंडर वर्ग के कुल वोट 2418 थे. वर्तमान में 2290 वोटर रह गये हैं. यानी 128 वोट कम हो गये हैं. वहीं, उत्तर बिहार के सात जिलों में 2.94 फीसदी वोटर घट गये हैं. जिला पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी में यह संख्या 506 से घटकर 455 पर पहुंच गयी है. इन चार जिलों में थर्ड जेंडर वर्ग के कुल 51 वोट कम हुए हैं. किसी जिले में यह गिरावट पांच, तो कहीं 18 फीसदी से अधिक है. इसके विपरीत दरभंगा , मुजफ्फरपुर और समस्तीपुर में 50 मतदाता बढ़े हैं.
बिस्फी और वाल्मीकिनगर में सबसे अधिक
थर्ड जेंडर वर्ग के मतदाताओं से जुड़े इस आंकड़े में सभी का ध्यान खींचने वाला बदलाव मधुबनी में देखने को मिला है. अभी तक सबसे अधिक थर्ड जेंडर वर्ग के मतदातावाले जिला मधुबनी था. लेकिन, नये साल पर वोटर सूची संशोधित हुई, तो वोटर की संख्या स्थिर रहने के कारण पटना ने इस पीछे कर दिया. मधुबनी में अभी तक इस श्रेणी के कुल 177 वोटर थे. पटना में यह संख्या 173 थी. मधुबनी में 168 वोट रह गये. सबसे अधिक छह वोट इसके बाबूबरही विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में घटे हैं. इस आंकड़े को विधानसभा बार देखें, तो थर्ड जेंडर के यहां 32 वोटर थे. अब यह संख्या घटकर 26 रह गयी है. हालांकि राज्य में सबसे अधिक थर्ड जेंडर वोटरवाली विधानसभा सीट मधुबनी जिले की बिस्फी है. यहां 32 वोटर हैं. 2023 में बिस्फी और वाल्मीकिनगर दोनों विधानसभा क्षेत्र थर्ड जेंडर वर्ग के मतदाताओं की समान संख्या 34 के साथ पहले स्थान पर थे. वाल्मीकिनगर में अब संख्या अब 21 रह गयी है.
आबादी में हिस्सेदारी से मेल नहीं खाती निर्वाचक सूची
थर्ड जेंडर की बिहार की आबादी में जो हिस्सेदारी है, वह चुनाव में बतौर वोटर इस इस वर्ग की भागीदारी से मेल नहीं खाती है. बिहार सरकार के निर्वाचन विभाग ने 22 जनवरी, 2024 को राज्य की निर्वाचक सूची (वोटर लिस्ट) का अंतिम प्रकाशन किया था. बिहार में कुल सात करोड़ 64 लाख 33 हजार 329 वोटर हैं. इनमें ट्रांसजेंडर वोटरों (वोटर लिस्ट में थर्ड जेंडर) की संख्या 2290 है. राज्य में 2011 की जनगणना के अनुसार, ट्रांसजेंडरों की संख्या करीब 40,897 हजार थी. इस जनसंख्या के अनुपात में ट्रांसजेंडर वोटरों की संख्या नगण्य कही जा सकती है. भारत निर्वाचन आयोग में सलाहकार और ट्रांसजेंडर अधिकारों को लेकर मुखर रेशमा प्रसाद का दावा है कि बड़ी संख्या में ट्रांसजेंडर वोट के अधिकार से वंचित हैं. देशभर में बिहार जनसंख्या की दृष्टि से तीसरा प्रदेश है. लेकिन, ट्रांसजेंडर वोटरों की संख्या के मामले में छठे स्थान पर आता है. इस खास वर्ग के वोटर संख्या के आधार पर पहला स्थान उत्तर प्रदेश का आता है. यूपी आबादी के लिहाज से देश में पहला स्थान रखता है.
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इन तीन जिलों में बढ़ गये थर्ड जेंडर वर्ग के वोटर
समस्तीपुर और मुजफ्फरपुर थर्ड जेंडर वर्ग के मतदाताओं की संख्या में सबसे अधिक बढ़ोतरीवाले जिलों में शुमार हैं. मुजफ्फरपुर में 23.40 तथा समस्तीपुर में 29.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. भारत निर्वाचन आयोग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, 2023 में मुजफ्फरपुर में 94 तथा समस्तीपुर में 27 थर्ड जेंडर वर्ग के मतदाता थे. अब यह संख्या क्रमश: 116 व 35 पर पहुंच गयी है. दरभंगा में एक वोटर बढ़ा है. यहां यह संख्या 53 से बढ़कर 54 हो गयी है.
थर्ड जेंडर मतदाता घटे (%)
- बिहार : 5.29
- उत्तर बिहार : 2.94
कहां कितने थर्ड जेंडर मतदाता घटे (%)
- पश्चिमी चंपारण : 18.11
- पूर्वी चंपारण : 9.61
- सीतामढ़ी : 9.1
- मधुबनी : 5.08
कहां कितने थर्ड जेंडर मतदाता बढ़े (%)
- दरभंगा : 1.88
- मुजफ्फरपुर : 23.40
- समस्तीपुर : 29.6
थर्ड जेंडर वर्ग के वोटर से जुड़ीं खास बातें
- सबसे कम थर्ड जेंडर वर्ग के वोटर शिवहर जिला (10 वोट) में हैं.
- 151 मतदाता संख्या के साथ नवादा जिला तीसरे स्थान पर है.
- सारण में 80 फीसदी से अधिक वोट बढ़े, संख्या 6 से बढ़कर 11 पर पहुंची
- 11 विधानसभा क्षेत्र ऐसे जहां एक भी थर्ड जेंडर वोटर नहीं हैं
सबसे अधिक ट्रांसजेंडर वोटर वाले राज्य
राज्य @ वोटर
- उत्तर प्रदेश @ 8374
- तमिलनाडु @ 5661
- कर्नाटक @ 4711
- आंध्र प्रदेश @ 3745
- उड़ीसा @ 2932
- बिहार @ 2406
(स्रोत : भारत निर्वाचन आयोग, 2019 )
क्या कहते हैं अधिकारी
जातिगत जनगणना को आधार मानें तो अभी बड़ी संख्या में ऐसे ट्रांसजेंडर हैं जिनका वोट नहीं बना है. सभी पात्र ट्रांसजेंडर वोटर बन सकें इसके लिए जरूरी है कि चुनाव आयोग बीएलओ जब भी नियुक्त करे जो इसमें न्यूनतम संख्या ट्रांसजेंडर की भी रखी जाये. इससे छूटे हुए ट्रांसजेंडर को वोटर बनाने में आसानी होगी.
रेशमा प्रसाद, एडवाइजर , भारत निर्वाचन आयोग